1 पतरस 2:6-18

1 पतरस 2:6-18 HINCLBSI

इसलिए धर्मग्रन्‍थ में यह लेख है, “मैं सियोन में एक चुना हुआ मूल्‍यवान् कोने का पत्‍थर रखता हूँ और जो उस पर विश्‍वास करेगा, उसे निराश नहीं होना पड़ेगा।” आप लोगों के लिए, जो विश्‍वास करते हैं, वह पत्‍थर मूल्‍यवान् है। जो विश्‍वास नहीं करते, उनके लिए धर्मग्रन्‍थ यह कहता है, “कारीगरों ने जिस पत्‍थर को बेकार समझ कर निकाल दिया था, वही कोने की नींव बन गया है।” और यह भी लिखा है, “वह ऐसा पत्‍थर है जिससे लोगों को ठेस लगती है, ऐसी चट्टान है जिससे वे ठोकर खाते हैं।” वे वचन पर विश्‍वास करना नहीं चाहते, इसलिए वे ठोकर खा कर गिर जाते हैं। यही उनकी नियति है। परन्‍तु आप लोग चुने हुए वंश, राजकीय पुरोहित-वर्ग, पवित्र राष्‍ट्र तथा परमेश्‍वर की अपनी निजी प्रजा हैं, जिससे आप उसी के महान् कार्यों की घोषणा करें, जो आप लोगों को अन्‍धकार में से निकाल कर अपनी अलौकिक ज्‍योति में बुला लाया है। पहले आप प्रजा नहीं थे, अब आप परमेश्‍वर की प्रजा हैं। पहले आप कृपा से वंचित थे, अब आप उसके कृपापात्र हैं। प्रिय भाइयो एवं बहिनो, आप परदेशी और प्रवासी हैं, इसलिए मैं आप से अनुरोध करता हूँ कि आप अपनी शारीरिक वासनाओं का दमन करें, जो आत्‍मा के विरुद्ध संघर्ष करती हैं। अन्‍यधर्मियों के बीच आप लोगों का आचरण निर्दोष हो। इस प्रकार जो अब आप को कुकर्मी कहकर आपकी निन्‍दा करते हैं, वे आपके सत्‍कर्मों को देख कर कृपा-दिवस पर परमेश्‍वर की स्‍तुति करेंगे। आप लोग प्रभु के कारण हर प्रकार के मानवीय शासकों की अधीनता स्‍वीकार करें-चाहे वह अधीनता सम्राट् की हो, जिसके पास सर्वोपरि अधिकार है; चाहे वह राज्‍यपालों की हो, जो कुकर्मियों के दण्‍ड तथा सत्‍कर्मियों की प्रशंसा के लिए सम्राट् द्वारा नियुक्‍त किये जाते हैं। परमेश्‍वर चाहता है कि आप अपने अच्‍छे कामों के द्वारा अनर्गल बातें करने वाले मुर्खों का मुँह बन्‍द कर दें। आप लोग स्‍वतन्‍त्र व्यक्‍तियों की तरह आचरण करें; किन्‍तु स्‍वतन्‍त्रता की आड़ में बुराई न करें, बल्‍कि परमेश्‍वर के सेवकों की तरह आचरण करें। सब मनुष्‍यों का सम्‍मान करें। भाई-बहिनों से प्रेम करें, परमेश्‍वर पर श्रद्धा रखें और सम्राट् का सम्‍मान करें। जो सेवक हैं, वे न केवल अच्‍छे और सहृदय स्‍वामियों की, बल्‍कि कठोर स्‍वामियों की भी अधीनता आदरपूर्वक स्‍वीकार करें।