पिताओ! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम उसे जानते हो, जो आदि काल से विद्यमान है। युवको! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुमने दुष्ट पर विजय पायी है। बच्चो! मैं तुम्हें इसलिए लिखता हूँ कि तुम पिता को जानते हो। पिताओ! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम उसे जानते हो, जो आदि काल से विद्यमान है। युवको! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम शक्तिशाली हो। परमेश्वर का वचन तुम में बना रहता है और तुम ने दुष्ट पर विजय पायी है। तुम न तो संसार से प्रेम करो और न संसार की वस्तुओं से। जो संसार से प्रेम करता है, उस में पिता का प्रेम नहीं।
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