1 कुरिन्थियों 11:16-33

1 कुरिन्थियों 11:16-33 HINCLBSI

यदि कोई इसके विषय में विवाद करना चाहे, तो वह यह जान ले कि न तो हमारे यहाँ कोई दूसरी प्रथा प्रचलित है और न परमेश्‍वर की कलीसियाओं में ही। मैं ये आदेश देते हुए इस पर अपना असन्‍तोष प्रकट करना चाहता हूँ कि आपकी सभाओं से आप को लाभ से अधिक हानि होती है। पहली बात तो यह है कि मेरे सुनने में आया कि जब आप के यहाँ धर्मसभा होती है, तो दलबन्‍दी स्‍पष्‍ट हो जाती है और मैं एक सीमा तक उस पर विश्‍वास भी करता हूँ। आप लोगों में फूट होना एक प्रकार से अनिवार्य है, जिससे यह स्‍पष्‍ट हो जाये कि आप में से कौन लोग खरे हैं। आप लोग जिस तरह सभा के लिए एकत्र होते हैं, वह प्रभु-भोज कहलाने योग्‍य नहीं; क्‍योंकि प्रत्‍येक व्यक्‍ति झटपट अपना-अपना भोजन खाने में लग जाता है। इस तरह कोई भूखा रह जाता है और कोई जरूरत से ज्‍यादा पीता है। क्‍या खाने-पीने के लिए आपके अपने घर नहीं हैं? या क्‍या आप परमेश्‍वर की कलीसिया का तिरस्‍कार करना और गरीबों को नीचा दिखाना चाहते हैं? मैं आप लोगों से क्‍या कहूँ? क्‍या मैं आपकी प्रशंसा करूँ? मैं इस बात के लिए आप की प्रशंसा नहीं कर सकता। जो परम्‍परा मैंने आपको सौंपी है, वह मुझे प्रभु से प्राप्‍त हुई थी : अर्थात जिस रात को प्रभु येशु पकड़वाये गये, उन्‍होंने रोटी ली और धन्‍यवाद की प्रार्थना करने के बाद उसे तोड़ा और कहा, “यह मेरी ही देह है, जो तुम्‍हारे लिए है। यह मेरी स्‍मृति में किया करो।” इसी तरह, भोजन के बाद उन्‍होंने कटोरा लेकर कहा, “यह कटोरा मेरे ही रक्‍त द्वारा स्‍थापित नया विधान है। जब-जब तुम उसमें से पियो, तो यह मेरी स्‍मृति में किया करो।” इस प्रकार जब-जब आप यह रोटी खाते और इस कटोरे में से पीते हैं, तो प्रभु के आने तक उनकी मृत्‍यु की घोषणा करते हैं। इसलिए जो व्यक्‍ति अयोग्‍य रीति से यह रोटी खाता या प्रभु के कटोरे में से पीता है, वह प्रभु की देह और रक्‍त के विरुद्ध अपराध करता है। अपने अन्‍त:करण की परीक्षा करने के बाद ही मनुष्‍य यह रोटी खाये और इस कटोरे में से पिये; क्‍योंकि जो कोई देह का अर्थ स्‍वीकार किये बिना खाता और पीता है, वह अपने ही दण्‍ड के निमित्त खाता और पीता है। यही कारण है कि आप में से बहुत-से लोग रोगी और दुर्बल हैं और कुछ लोग मर भी गये हैं। यदि हम अपने अन्‍त:करण की ठीक-ठीक जाँच करते, तो हमें दोषी नहीं ठहराया जाता। फिर भी जब प्रभु ही हमें दोषी ठहराते हैं, तो यह हमारे सुधार के लिए है, जिससे हम संसार के साथ दण्‍डनीय न हों। इसलिए मेरे भाइयो और बहिनो! जब आप प्रभु-भोज के लिए एकत्र हों, तो दूसरे की प्रतीक्षा करें।