1 कुरिन्थियों 10:23-33

1 कुरिन्थियों 10:23-33 HINCLBSI

“सब कुछ करने की अनुमति है,” किन्‍तु सब कुछ हितकर नहीं। “सब कुछ करने की अनुमति है,” किन्‍तु सब कुछ से निर्माण नहीं होता। सब कोई अपना नहीं, बल्‍कि दूसरों के हित का ध्‍यान रखें। बाजार में जो मांस बिकता है, उसे आप अन्‍त:करण की शान्‍ति के लिए पूछताछ किये बिना खा सकते हैं; क्‍योंकि जैसा धर्मग्रन्‍थ में कहा गया है, “पृथ्‍वी और उसमें जो कुछ है वह सब प्रभु का है।” जब अविश्‍वासियों में से कोई आप को निमन्‍त्रण देता है और आप जाना चाहते हैं, तो जो कुछ परोसा जाता है उसे आप, अन्‍त:करण की शान्‍ति के लिए पूछताछ किये बिना, खा सकते हैं। परन्‍तु यदि कोई आप से कहे, “यह देवता को चढ़ाया हुआ मांस है,” तो बतलाने वाले और अन्‍त:करण के कारण उसे मत खाइए। मेरा अभिप्राय आपके अन्‍त:करण से नहीं, बल्‍कि दूसरे व्यक्‍ति के अन्‍त:करण से है; क्‍योंकि मेरी स्‍वतन्‍त्रता दूसरे के अन्‍त:करण के कारण बाधित नहीं है। यदि मैं धन्‍यवाद की प्रार्थना करने के बाद भोज में सम्‍मिलित हो गया हूँ, तो जिस भोजन के लिए मैं परमेश्‍वर को धन्‍यवाद देता हूँ, उस के कारण किसी को मेरी निन्‍दा करने का अधिकार नहीं। इसलिए आप लोग चाहे खायें या पियें, जो कुछ भी करें, सब परमेश्‍वर की महिमा के लिए करें। आप किसी के लिए ठेस का कारण न बनें-न यहूदियों के लिए, न यूनानियों और न परमेश्‍वर की कलीसिया के लिए। मैं भी अपने हित का नहीं, बल्‍कि दूसरों के हित का ध्‍यान रख कर सब बातों में सब को प्रसन्न करने का प्रयत्‍न करता हूँ, जिससे वे मुक्‍ति प्राप्‍त कर सकें।