1 कुरिन्थियों 10:14-33

1 कुरिन्थियों 10:14-33 HINCLBSI

मेरे प्रिय भाइयो और बहिनो! आप मूर्तिपूजा से दूर रहें। मैं आप लोगों को समझदार जान कर यह कह रहा हूँ। आप स्‍वयं मेरी बातों पर विचार करें। क्‍या आशिष का कटोरा, जिस पर हम आशिष मांगते हैं, हमें मसीह के रक्‍त का सहभागी नहीं बनाता? क्‍या वह रोटी, जिसे हम तोड़ते हैं, हमें मसीह के शरीर का सहभागी नहीं बनाती रोटी तो एक ही है, इसलिए अनेक होने पर भी हम एक देह हैं। क्‍योंकि हम सब एक ही रोटी के सहभागी हैं। जो शरीर के नाते इस्राएल वंश के लोग हैं, उनकी प्रथाओं पर ध्‍यान दीजिए। क्‍या बलिभोज खाने वाले व्यक्‍ति वेदी के सहभागी नहीं हैं? मैं यह नहीं कहता कि मूर्ति को चढ़ाये हुए मांस की कोई विशेषता है अथवा यह कि मूर्ति का कुछ महत्व है। किन्‍तु जैसा धर्मग्रन्‍थ में कहा गया है, “जो बलि चढ़ायी जाती है वह परमेश्‍वर को नहीं, बल्‍कि भूतों को चढ़ायी जाती है।” मैं यह नहीं चाहता कि आप लोग भूतों के सहभागी बनें। आप प्रभु के कटोरे और भूतों के कटोरे, दोनों में से पी नहीं सकते। आप प्रभु की मेज़ और भूतों की मेज़, दोनों के सहभागी नहीं बन सकते। क्‍या हम प्रभु को चुनौती देना चाहते हैं? क्‍या हम उससे अधिक बलवान हैं? “सब कुछ करने की अनुमति है,” किन्‍तु सब कुछ हितकर नहीं। “सब कुछ करने की अनुमति है,” किन्‍तु सब कुछ से निर्माण नहीं होता। सब कोई अपना नहीं, बल्‍कि दूसरों के हित का ध्‍यान रखें। बाजार में जो मांस बिकता है, उसे आप अन्‍त:करण की शान्‍ति के लिए पूछताछ किये बिना खा सकते हैं; क्‍योंकि जैसा धर्मग्रन्‍थ में कहा गया है, “पृथ्‍वी और उसमें जो कुछ है वह सब प्रभु का है।” जब अविश्‍वासियों में से कोई आप को निमन्‍त्रण देता है और आप जाना चाहते हैं, तो जो कुछ परोसा जाता है उसे आप, अन्‍त:करण की शान्‍ति के लिए पूछताछ किये बिना, खा सकते हैं। परन्‍तु यदि कोई आप से कहे, “यह देवता को चढ़ाया हुआ मांस है,” तो बतलाने वाले और अन्‍त:करण के कारण उसे मत खाइए। मेरा अभिप्राय आपके अन्‍त:करण से नहीं, बल्‍कि दूसरे व्यक्‍ति के अन्‍त:करण से है; क्‍योंकि मेरी स्‍वतन्‍त्रता दूसरे के अन्‍त:करण के कारण बाधित नहीं है। यदि मैं धन्‍यवाद की प्रार्थना करने के बाद भोज में सम्‍मिलित हो गया हूँ, तो जिस भोजन के लिए मैं परमेश्‍वर को धन्‍यवाद देता हूँ, उस के कारण किसी को मेरी निन्‍दा करने का अधिकार नहीं। इसलिए आप लोग चाहे खायें या पियें, जो कुछ भी करें, सब परमेश्‍वर की महिमा के लिए करें। आप किसी के लिए ठेस का कारण न बनें-न यहूदियों के लिए, न यूनानियों और न परमेश्‍वर की कलीसिया के लिए। मैं भी अपने हित का नहीं, बल्‍कि दूसरों के हित का ध्‍यान रख कर सब बातों में सब को प्रसन्न करने का प्रयत्‍न करता हूँ, जिससे वे मुक्‍ति प्राप्‍त कर सकें।