जो विनाश के मार्ग पर चलते हैं, वे क्रूस की शिक्षा को ‘मूर्खता’ समझते हैं। किन्तु हम लोगों के लिए, जो मुक्ति के मार्ग पर चलते हैं, वह परमेश्वर का सामर्थ्य है; क्योंकि धर्मग्रन्थ में लिखा है, “मैं ज्ञानियों का ज्ञान नष्ट करूंगा और समझदारों की समझ व्यर्थ कर दूँगा।” हम में इस संसार के ज्ञानी, शास्त्री और दार्शनिक कहाँ है? क्या परमेश्वर ने इस संसार के ज्ञान को मूर्खतापूर्ण नहीं प्रमाणित किया है? परमेश्वर की प्रज्ञ का विधान ऐसा था कि संसार अपने ज्ञान द्वारा परमेश्वर को नहीं पहचान सका। इसलिए परमेश्वर ने शुभ समाचार के प्रचार की ‘मूर्खता’ द्वारा विश्वासियों को बचाना चाहा। यहूदी चमत्कार माँगते और यूनानी ज्ञान चाहते हैं, किन्तु हम क्रूसित मसीह का ही प्रचार करते हैं। यह यहूदियों के विश्वास में बाधा है और गैर-यहूदियों के लिए ‘मूर्खता’। किन्तु परमेश्वर के चुने हुए लोगों के लिए, चाहे वे यहूदी हों या यूनानी, यही मसीह परमेश्वर का सामर्थ्य और परमेश्वर की प्रज्ञ है; क्योंकि परमेश्वर की ‘मूर्खता’ मनुष्यों के ज्ञान से अधिक विवेकपूर्ण और परमेश्वर की ‘दुर्बलता’ मनुष्यों की शक्ति से अधिक शक्तिशाली है।
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