तब दाऊद तम्बू के भीतर गया। वह प्रभु के सम्मुख बैठ गया। उसने यह प्रार्थना की, ‘हे प्रभु परमेश्वर, मैं और मेरे वंश का महत्व क्या है कि तूने मुझे इतना ऊंचा उठाया? फिर भी यह तेरी दृष्टि में कितनी छोटी बात है। हे परमेश्वर, तूने अपने सेवक के वंश को सुदूर भविष्य के लिए भी वचन दिया। इस प्रकार तूने मुझे महान् मनुष्य माना! हे प्रभु परमेश्वर, दाऊद तुझ से और क्या कह सकता है? तूने अपने सेवक को सम्मान दिया। तू अपने सेवक को जानता है। हे प्रभु, अपने सेवक के कारण और अपने हृदय के अनुरूप, तूने अपनी महानता बताने के लिए यह महान् कार्य किया। हे प्रभु, तेरे समान और कोई ईश्वर नहीं है। तेरे अतिरिक्त और कोई परमेश्वर नहीं है। यह हमने स्वयं अपने कानों से सुना है। तेरे निज लोग, इस्राएली राष्ट्र के समान, पृथ्वी पर और कौन राष्ट्र है? हे परमेश्वर, तू स्वयं उनको गुलामी से मुक्त करने के लिए आया था, जिससे वे तेरी प्रजा बनें। तूने महान् और आतंकपूर्ण कार्यों द्वारा स्वयं एक नाम धारण किया। तूने अपने निज लोगों के सम्मुख से, जिन्हें तूने अपने लिए मिस्र देश से मुक्त किया था, अनेक राष्ट्रों को भगाया था। तूने अपने लोग इस्राएलियों को स्थापित किया कि वे युगानुयुग तेरे ही निज लोग बने रहें। हे प्रभु, तू उनका परमेश्वर बन गया। अब हे प्रभु, जो वचन तूने अपने सेवक और उसके वंश के विषय में कहा है, उसको सदा के लिए सत्य प्रमाणित कर। अपने वचन के अनुसार कार्य कर। प्रभु, अपने नाम को स्थापित कर, कि लोग सदा-सर्वदा उसका गुणगान करें। तब लोग यह कहेंगे, “स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु, इस्राएल का परमेश्वर इस्राएलियों के लिए ही परमेश्वर है” तब तेरे सेवक दाऊद का वंश तेरे सम्मुख बना रहेगा।
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