वह अपनी जीभ को बुरा बोलने से तथा अपने होंठों को झूठ से मुक्त रखे; बुराई में रुचि लेना छोड़कर परोपकार करे; मेल-मिलाप का यत्न करे और इसी के लिए पीछा करे.
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