हमारे पुत्र अपनी युवावस्था में परिपक्व पौधों के समान हों, और हमारी पुत्रियां कोने के उन स्तंभों के समान, जो राजमहल की सुंदरता के लिए सजाये गए हैं. हमारे अन्नभण्डार परिपूर्ण बने रहें, उनसे सब प्रकार की तृप्ति होती रहे. हमारी भेड़ें हजारों मेमने उत्पन्न करें, हमारे मैदान दस हजारों से भर जाएं; सशक्त बने रहें हमारे पशु; उनके साथ कोई दुर्घटना न हो, वे प्रजनन में कभी विफल न हों, हमारी गलियों में वेदना की कराहट कभी न सुनी जाए. धन्य है वह प्रजा, जिन पर कृपादृष्टि की ऐसी वृष्टि होती है; धन्य हैं वे लोग, जिनके परमेश्वर याहवेह हैं.
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