शिष्यों में इस विषय को लेकर विवाद छिड़ गया कि उनमें श्रेष्ठ कौन है. यह जानते हुए कि शिष्य अपने मन में क्या सोच रहे हैं प्रभु येशु ने एक छोटे बालक को अपने पास खड़ा करके कहा, “जो कोई मेरे नाम में इस छोटे बालक को ग्रहण करता है, मुझे ग्रहण करता है, तथा जो कोई मुझे ग्रहण करता है, उन्हें ग्रहण करता है जिन्होंने मुझे भेजा है. वह, जो तुम्हारे मध्य छोटा है, वही है जो श्रेष्ठ है.”
योहन ने उन्हें सूचना दी, “प्रभु, हमने एक व्यक्ति को आपके नाम में दुष्टात्मा निकालते हुए देखा है. हमने उसे ऐसा करने से रोकने का प्रयत्न किया क्योंकि वह हममें से नहीं है.”
“मत रोको उसे!” प्रभु येशु ने कहा, “क्योंकि जो तुम्हारा विरोधी नहीं, वह तुम्हारे पक्ष में है.”
जब प्रभु येशु के स्वर्ग में उठा लिए जाने का निर्धारित समय पास आया, विचार दृढ़ करके प्रभु येशु ने अपने पांव येरूशलेम नगर की ओर बढ़ा दिए. उन्होंने अपने आगे संदेशवाहक भेज दिए. वे शमरिया प्रदेश के एक गांव में पहुंचे कि प्रभु येशु के आगमन की तैयारी करें किंतु वहां के निवासियों ने उन्हें स्वीकार नहीं किया क्योंकि प्रभु येशु येरूशलेम नगर की ओर जा रहे थे. जब उनके दो शिष्यों—याकोब और योहन ने यह देखा तो उन्होंने प्रभु येशु से प्रश्न किया, “प्रभु, यदि आप आज्ञा दें तो हम प्रार्थना करें कि आकाश से इन्हें नाश करने के लिए आग की बारिश हो जाए.” पीछे मुड़कर प्रभु येशु ने उन्हें डांटा, “तुम नहीं समझ रहे कि तुम यह किस मतलब से कह रहे हो. मनुष्य का पुत्र इन्सानों के विनाश के लिए नहीं परंतु उनके उद्धार के लिए आया है!” और वे दूसरे नगर की ओर बढ़ गए.
मार्ग में एक व्यक्ति ने अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए उनसे कहा, “आप जहां कहीं जाएंगे, मैं आपके साथ रहूंगा.”
येशु ने उसके उत्तर में कहा, “लोमड़ियों के पास उनकी गुफाएं तथा आकाश के पक्षियों के पास उनके बसेरे होते हैं किंतु मनुष्य के पुत्र के पास तो सिर रखने तक का स्थान नहीं है!”
एक अन्य व्यक्ति से प्रभु येशु ने कहा, “आओ! मेरे पीछे हो लो.”
उस व्यक्ति ने कहा, “प्रभु मुझे पहले अपने पिता की अंत्येष्टि की अनुमति दे दीजिए.”
प्रभु येशु ने उससे कहा, “मरे हुओं को अपने मृत गाड़ने दो किंतु तुम जाकर परमेश्वर के राज्य का प्रचार करो.”
एक अन्य व्यक्ति ने प्रभु येशु से कहा, “प्रभु, मैं आपके साथ चलूंगा किंतु पहले मैं अपने परिजनों से विदा ले लूं.”
प्रभु येशु ने इसके उत्तर में कहा, “ऐसा कोई भी व्यक्ति, जो हल चलाने को तत्पर हो, परंतु उसकी दृष्टि पीछे की ओर लगी हुई हो, परमेश्वर के राज्य के योग्य नहीं.”