उसे देखकर प्रभु येशु ने कहा, “धनवानों का परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कैसा कठिन है! एक धनी के परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने की तुलना में सुई के छेद में से ऊंट का पार हो जाना सरल है.”
इस पर सुननेवाले पूछने लगे, “तब किसका उद्धार संभव है?”
प्रभु येशु ने उत्तर दिया, “जो मनुष्य के लिए असंभव है, वह परमेश्वर के लिए संभव है.”
पेतरॉस ने प्रभु येशु से कहा, “हम तो अपना घरबार छोड़कर आपके पीछे चल रहे हैं.”
प्रभु येशु ने इसके उत्तर में कहा, “सच तो यह है कि ऐसा कोई भी नहीं, जिसने परमेश्वर के राज्य के लिए अपनी घर-गृहस्थी, पत्नी, भाई, बहन, माता-पिता या संतान का त्याग किया हो और उसे इस समय में कई गुणा अधिक तथा आगामी युग में अनंत काल का जीवन प्राप्त न हो.”
तब प्रभु येशु ने बारहों शिष्यों को अलग ले जाकर उन पर प्रकट किया, “हम येरूशलेम नगर जा रहे हैं. भविष्यद्वक्ताओं द्वारा मनुष्य के पुत्र के विषय में जो भी लिखा गया है, वह पूरा होने पर है, उसे अन्यजातियों को सौंप दिया जाएगा. उसका उपहास किया जाएगा, उसे अपमानित किया जाएगा, उस पर थूका जाएगा. उसे कोड़े लगाने के बाद वे उसे मार डालेंगे और वह तीसरे दिन मरे हुओं में से जीवित हो जाएगा.”
शिष्यों को कुछ भी समझ में न आया. उनसे इसका अर्थ छिपाकर रखा गया था. इस विषय में प्रभु येशु की कही बातें शिष्यों की समझ से परे थी.
जब प्रभु येशु येरीख़ो नगर के पास पहुंचे, उन्हें एक अंधा मिला, जो मार्ग के किनारे बैठा हुआ भिक्षा मांग रहा था. भीड़ का शोर सुनकर उसने जानना चाहा कि क्या हो रहा है. उन्होंने उसे बताया, “नाज़रेथ के येशु यहां से होकर जा निकल रहें हैं.”
वह अंधा पुकार उठा, “येशु! दावीद की संतान! मुझ पर दया कीजिए!”
उन्होंने, जो आगे-आगे चल रहे थे, उसे डांटा और उसे शांत रहने की आज्ञा दी. इस पर वह और भी ऊंचे शब्द में पुकारने लगा, “दावीद के पुत्र! मुझ पर कृपा कीजिए!”
प्रभु येशु रुक गए और उन्हें आज्ञा दी कि वह व्यक्ति उनके पास लाया जाए. जब वह उनके पास लाया गया, प्रभु येशु ने उससे प्रश्न किया, “क्या चाहते हो? मैं तुम्हारे लिए क्या करूं?”
“प्रभु मैं देखना चाहता हूं!” उसने उत्तर दिया.
प्रभु येशु ने कहा, “रोशनी प्राप्त करो. तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें स्वस्थ किया है.” तत्काल ही वह देखने लगा. परमेश्वर की वंदना करते हुए वह प्रभु येशु के पीछे चलने लगा. यह देख सारी भीड़ भी परमेश्वर का धन्यवाद करने लगी.