किंतु इस्राएलियों ने हिव्वियों से कहा, “क्या पता, आप हमारे ही देश के निवासी हो; अतः हम आपसे दोस्ती क्यों करें?” किंतु उन्होंने यहोशू से कहा, “हम तो आपके सेवक हैं.” तब यहोशू ने उनसे पूछा, “तुम लोग कौन हो और कहां से आए हो?” उन्होंने उत्तर दिया, “हम बहुत दूर देश से आए हैं, क्योंकि हमने याहवेह, आपके परमेश्वर की प्रशंसा सुनी है. हमने उनके बारे में जो उन्होंने मिस्र में किया था, सब सुन रखा है. हमने यह भी सुना है कि उन्होंने अमोरियों के दो राजाओं के साथ क्या किया, जो यरदन के उस पार थे; हेशबोन का राजा सीहोन और बाशान का राजा ओग, जो अश्तारोथ पर थे. तब हमारे बुजुर्गो तथा देशवासियों ने कहा कि यात्रा के लिए ‘अपने साथ ज़रूरी सामान ले लो, और उनसे मिलने जाओ तथा उनसे कहना, “हम आपके सेवक हैं, तब आप हमसे दोस्ती कर लीजिए.” ’ यात्रा शुरू करते समय हम गर्म रोटी लेकर घर से निकले थे; किंतु अब देखिए, ये रोटियां सूख चुकी हैं. और दाखमधु की ये थैली जब हम भर रहे थे, नई थी; किंतु अब देखिए, ये फट गई हैं. हमारे वस्त्र और चप्पलें फट रही हैं.” तब इस्राएलियों ने याहवेह से पूछे बिना ही उनकी बात मान ली. यहोशू ने उनके साथ दोस्ती कर ली, और कहा कि उनकी हत्या न की जाएगी, सभा के प्रधानों ने उनसे यह वायदा किया.
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