एसाव अपने भाई याकोब से नफ़रत करने लगा और मन में ऐसा सोचने लगा, “पिता की मृत्यु शोक के दिन नज़दीक है, उनके बाद मैं याकोब की हत्या कर दूंगा.” जब रेबेकाह को अपने बड़े बेटे की ये बातें बताई गईं तब उसने सेवक भेजकर अपने छोटे पुत्र याकूब को बुलवाकर उससे कहा, “तुम्हारे भाई एसाव के मन में तुम्हारे लिए बहुत नफ़रत हैं. सुनो, तुम्हारा भाई एसाव तुम्हें मारने का षड़्यंत्र कर रहा है. इसलिये तुम यहां से भागकर मेरे भाई लाबान के यहां चले जाओ. वहां जाकर कुछ समय रहो, जब तक तुम्हारे भाई का गुस्सा खत्म न हो जाए. जब तुम्हारे भाई का गुस्सा खत्म होगा, और भूल जायेगा कि तुमने उसके साथ क्या किया, तब मैं तुम्हें वहां से बुला लूंगी. मैं एक ही दिन तुम दोनों को क्यों खो दूं?” एक दिन रेबेकाह ने यित्सहाक से कहा, “हेथ की इन पुत्रियों ने मेरा जीवन दुःखी कर दिया है. यदि याकोब भी हेथ की पुत्रियों में से किसी को, अपनी पत्नी बना लेगा तो मेरे लिए जीना और मुश्किल हो जाएगा?” इसलिये याकोब को उसके मामा के घर भेज दो.
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