“कुछ ऐसे लोग जो यहूदी नहीं हैं, अपने आपको यहोवा से जोड़ेंगे। वे ऐसा इसलिये करेंगे कि यहोवा की सेवा और यहोवा के नाम को प्रेम कर पायें। यहोवा के सेवक बनने के लिये वे स्वयं को उससे जोड़ लेंगे। वे सब्त के दिन को उपासना के एक विशेष दिन के रूप में माना करेंगे और वे मेरी वाचा (विधान) का गम्भीरता से पालन करेंगे। मैं उन लोगों को अपने पवित्र पर्वत पर लाऊँगा। अपने प्रार्थना भवन में मैं उन्हें आनन्द से भर दूँगा। वे जो भेंट और बलियाँ मुझे अर्पित करेंगे, मैं उनसे प्रसन्न होऊँगा। क्यों क्योंकि मेरा मन्दिर सभी जातियों का प्रार्थना का गृह कहलायेगा।”