“यहूदा के भवन की चाबी मैं उस पुरुष के गले में डाल दूँगा। यदि वह किसी द्वार को खोलेगा तो वह द्वार खुला ही रहेगा। कोई भी व्यक्ति उसे बंद नहीं कर पायेगा। यदि वह किसी द्वार को बंद करेगा तो वह द्वार बंद हो जायेगा। कोई भी व्यक्ति उसे खोल नहीं पायेगा। वह सेवक अपने पिता के घर में एक सिंहासन के समान होगा।