तुम्हें परमेश्वर के नियमों और उपदेशों की शिक्षा लोगों को देनी चाहिए। लोगों को चेतावनी दो कि वे नियम न तोड़ें। लोगों को जीने की ठीक राह बताओ। उन्हें बताओ कि वे क्या करें। किन्तु तुम्हें लोगों में से अच्छे लोगों को चुनना चाहिए।
“तुम्हें अपने विश्वासपात्र आदमियों का चुनाव करना चाहिए अर्थात् उन आदमियों का जो परमेश्वर का सम्मान करते हों। उन आदमियों को चुनो जो धन के लिए अपना निर्णय न बदलें। इन आदमियों को लोगों का प्रशासक बनाओ। हज़ार, सौ, पचास और दस लोगों पर भी प्रशासक होने चाहिए।