परमेश्वर ने चाहा कि येशु अपना रक्त बहा कर पाप का प्रायश्चित करें, जिसका फल विश्वास द्वारा प्राप्त होता है। परमेश्वर ने इस प्रकार अपनी धार्मिकता का प्रमाण दिया; क्योंकि उसने अपनी सहनशीलता के अनुरूप पिछले युगों के पापों को अनदेखा कर दिया था। उसने इस युग में अपनी धार्मिकता का प्रमाण देना चाहा, जिससे यह स्पष्ट हो जाये कि वह स्वयं धार्मिक है और उन सब को धार्मिक ठहराता है, जो येशु में विश्वास करते हैं।