प्रभु यों कहता है :
‘वह मनुष्य शापित है,
जो आदमी पर भरोसा करता है,
जो हाड़-मांस के पुतले का सहारा लेता है,
जिसका हृदय प्रभु से भटक जाता है।
वह मरुस्थल की छोटी सूखी झाड़ी
के समान होता है,
जो कभी फलती-फूलती नहीं।
वह मनुष्य निर्जन प्रदेश के सूखे इलाकों में
निवास करेगा;
वह नोनी भूमि के क्षेत्र में रहेगा,
जहां कोई नहीं बसता।