‘आकाश से हिम गिरता है,
और वर्षा की बूंदे टपकती हैं;
वे लौटकर आकाश को नहीं जातीं,
वरन् पृथ्वी पर भूमि को सींचती हैं।
वे अन्न को उपजाती हैं;
और बोनेवाले को बीज
और खानेवाले को भोजन प्राप्त होता है।
ऐसे ही जो शब्द मेरे मुंह से निकलता है,
वह मेरे पास खाली नहीं लौटेगा;
वरन् जिस उद्देश्य से मैंने उसको उच्चारा था,
वह उसको पूरा करेगा;
जिसके लिए मैंने उसको भेजा था,
वह उसको सफल करेगा।’