स्वामी-प्रभु यों कहता है :
‘मैं भी देवदार वृक्ष की ऊंची फुनगी से
एक टहनी लूंगा,
और उसको भूमि पर लगाऊंगा।
मैं उसकी सबसे ऊंची शाखा में से
एक टहनी तोड़ूंगा,
और उसको एक बहुत ऊंचे पहाड़ पर
लगाऊंगा।
सुनो, मैं उसको इस्राएल प्रदेश के उच्चतम
पर्वत पर रोपूंगा;
तब उसमें डालियां फूटेंगी,
और उसमें फल लगेंगे।
वह एक शानदार देवदार वृक्ष बन जाएगी।
उसके नीचे सब जाति के पशु आश्रय लेंगे;
उसकी घनी शाखाओं में सब प्रकार के पक्षी
अपना घोंसला बनाएंगे।