दूसरे दिन सबेरे अश्दोद नगर के रहने वाले सोकर उठे। वे दागोन देवता के मन्दिर में गए। तब उन्होंने देखा कि दागोन देवता की मूर्ति प्रभु की मंजूषा के सामने औंधे मुँह भूमि पर पड़ी हुई है। अत: उन्होंने मूर्ति को उठाया, और उसे उसके स्थान पर फिर खड़ा कर दिया। अगले दिन सबेरे वे सोकर उठे। उन्होंने देखा कि दागोन देवता की मूर्ति प्रभु की मंजूषा के सामने औंधे मुँह भूमि पर पड़ी हुई है। उसके सिर तथा दोनों हाथ कटे हुए देहरी पर पड़े हैं। मूर्ति का धड़ ही शेष रह गया है।