“दाहड़े, ने चांद, ने तारा मां, सहलाणी देखाव पड़से, ने धरतीन आखा देस-देसेन माणसेन जीवाय पर गरा ने हीड़ा-पीड़ा आवसे। ने चे दर्यान सुसवारु ने झलक देखीन घाबराय जासे। ने माणसे बीहीन ने कळ पर आवणेवाळी आखी आफतेन वाट देखी-देखीन जीव मां जीव नी रवे, काहाकी सरगेन आखी ताकत हाल जासे। ने तत्यार आखा माणसे-माणसेन पुर्या काजे ताकत भेळु ने सेक-सींगार भेळ आदळा पर बसीन आवतेलु देखसे।