आमाल 4:32
आमाल 4:32 UCVD
मोमिनीन की जमाअत एक दिल और एक जान थी। कोई भी ऐसा न था जो अपने माल को सिर्फ़ अपना समझता हो बल्के दूसरों को भी सारी चीज़ों में शरीक समझता था।
मोमिनीन की जमाअत एक दिल और एक जान थी। कोई भी ऐसा न था जो अपने माल को सिर्फ़ अपना समझता हो बल्के दूसरों को भी सारी चीज़ों में शरीक समझता था।