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आमाल 20:35
उर्दू हमअस्र तरजुमा
हम किस तरह मेहनत कर के कमज़ोरों को संभाल सकते हैं? ये मैंने तुम्हें कर के दिखाया। हम ख़ुदावन्द ईसा के अल्फ़ाज़ याद रख्खीं: ‘देना लेने से ज़्यादा मुबारक है।’ ”
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Zkoumat आमाल 20:35
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आमाल 20:24
लेकिन, मेरी जान मेरे लिये कोई क़दर-ओ-क़ीमत नहीं रखती; में तो बस ये चाहता हूं के मेरी दौड़ पूरी हो जाये और मैं ख़ुदा के फ़ज़ल की ख़ुशख़बरी सुनाने का काम जो ख़ुदावन्द ईसा ने मुझे दिया है को पूरी सदाक़त से कर लूं।
Zkoumat आमाल 20:24
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आमाल 20:28
पस अपना और सारे गल्ले का ख़्याल रखो जिस के तुम पाक रूह की जानिब से निगहबां मुक़र्रर किये गये हो ताके ख़ुदा की जमाअत की निगहबानी करो जिसे ख़ुदा ने ख़ास अपने ही ख़ून से ख़रीदा है।
Zkoumat आमाल 20:28
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आमाल 20:32
“अब मैं तुम्हें ख़ुदा के इस फ़ज़ल के कलाम के सुपुर्द करता हूं, जो तुम्हारी तरक़्क़ी का बाइस हो सकता है और तुम्हें इस मीरास का हक़दार बना सकता है जो तुम बरगुज़ीदा लोगों के लिये है।
Zkoumat आमाल 20:32
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