प्रकाशितवाक्य 16:1-11
प्रकाशितवाक्य 16:1-11 HINOVBSI
फिर मैं ने मन्दिर में किसी को ऊँचे शब्द से उन सातों स्वर्गदूतों से यह कहते सुना, “जाओ, परमेश्वर के प्रकोप के सातों कटोरों को पृथ्वी पर उंडेल दो।” अत: पहले स्वर्गदूत ने जाकर अपना कटोरा पृथ्वी पर उंडेल दिया। तब उन मनुष्यों के, जिन पर पशु की छाप थी और जो उसकी मूर्ति की पूजा करते थे, एक प्रकार का बुरा और दु:खदाई फोड़ा निकला। दूसरे स्वर्गदूत ने अपना कटोरा समुद्र पर उंडेल दिया, और वह मरे हुए मनुष्य के लहू जैसा बन गया, और समुद्र में का हर एक जीवधारी मर गया। तीसरे स्वर्गदूत ने अपना कटोरा नदियों और पानी के सोतों पर उंडेल दिया, और वे लहू बन गए। तब मैं ने पानी के स्वर्गदूत को यह कहते सुना, “हे पवित्र, जो है और जो था, तू न्यायी है और तू ने यह न्याय किया। क्योंकि उन्होंने पवित्र लोगों और भविष्यद्वक्ताओं का लहू बहाया था, और तू ने उन्हें लहू पिलाया; क्योंकि वे इसी योग्य हैं।” फिर मैं ने वेदी से यह शब्द सुना, “हाँ, हे सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, तेरे निर्णय ठीक और सच्चे हैं।” चौथे स्वर्गदूत ने अपना कटोरा सूर्य पर उंडेल दिया, और उसे मनुष्यों को आग से झुलसा देने का अधिकार दिया गया। मनुष्य बड़ी तपन से झुलस गए, और परमेश्वर के नाम की जिसे इन विपत्तियों पर अधिकार है, निन्दा की पर उसकी महिमा करने के लिये मन न फिराया। पाँचवें स्वर्गदूत ने अपना कटोरा उस पशु के सिंहासन पर उंडेल दिया, और उसके राज्य पर अन्धेरा छा गया। लोग पीड़ा के मारे अपनी अपनी जीभ चबाने लगे, और अपनी पीड़ाओं और फोड़ों के कारण स्वर्ग के परमेश्वर की निन्दा की; पर अपने अपने कामों से मन न फिराया।