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भजन संहिता 62:1-8

भजन संहिता 62:1-8 HINOVBSI

सचमुच मैं चुपचाप होकर परमेश्‍वर की ओर मन लगाए हूँ, मेरा उद्धार उसी से होता है। सचमुच वही, मेरी चट्टान और मेरा उद्धार है, वह मेरा गढ़ है, मैं अधिक न डिगूँगा। तुम कब तक एक पुरुष पर धावा करते रहोगे, कि सब मिलकर उसका घात करो? वह तो झुकी हुई भीत या गिरते हुए बाड़े के समान है। सचमुच वे उसको, उसके ऊँचे पद से गिराने की सम्मति करते हैं; वे झूठ से प्रसन्न रहते हैं। मुँह से तो वे आशीर्वाद देते पर मन में कोसते हैं। (सेला) हे मेरे मन, परमेश्‍वर के सामने चुपचाप रह, क्योंकि मेरी आशा उसी से है। सचमुच वही मेरी चट्टान, और मेरा उद्धार है, वह मेरा गढ़ है; इसलिये मैं न डिगूँगा। मेरे उद्धार और मेरी महिमा का आधार परमेश्‍वर है; मेरी दृढ़ चट्टान, और मेरा शरणस्थान परमेश्‍वर है। हे लोगो, हर समय उस पर भरोसा रखो; उससे अपने अपने मन की बातें खोलकर कहो; परमेश्‍वर हमारा शरणस्थान है। (सेला)