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भजन संहिता 38:11-22

भजन संहिता 38:11-22 HINOVBSI

मेरे मित्र और मेरे संगी मेरी विपत्ति में अलग हो गए, और मेरे कुटुम्बी भी दूर जा खड़े हुए। मेरे प्राण के ग्राहक मेरे लिये जाल बिछाते हैं, और मेरी हानि का यत्न करनेवाले दुष्‍टता की बातें बोलते, और दिन भर छल की युक्‍ति सोचते हैं। परन्तु मैं बहरे के समान सुनता ही नहीं, और मैं गूँगे के समान मुँह नहीं खोलता। वरन् मैं ऐसे मनुष्य के तुल्य हूँ जो कुछ नहीं सुनता, और जिसके मुँह से विवाद की कोई बात नहीं निकलती। परन्तु हे यहोवा, मैं ने तुझ ही पर अपनी आशा लगाई है; हे प्रभु, मेरे परमेश्‍वर, तू ही उत्तर देगा। क्योंकि मैं ने कहा, “ऐसा न हो कि वे मुझ पर आनन्द करें; जब मेरा पाँव फिसल जाता है, तब वे मुझ पर अपनी बड़ाई मारते हैं।” क्योंकि मैं तो अब गिरने ही पर हूँ; और मेरा शोक निरन्तर मेरे सामने है। इसलिये कि मैं तो अपने अधर्म को प्रगट करूँगा, और अपने पाप के कारण खेदित रहूँगा। परन्तु मेरे शत्रु फुर्तीले और सामर्थी हैं, और मेरे बैरी बहुत हो गए हैं। जो भलाई के बदले में बुराई करते हैं, वे भी भलाई के पीछे चलने के कारण मेरा विरोध करते हैं। हे यहोवा, मुझे छोड़ न दे! हे मेरे परमेश्‍वर, मुझ से दूर न हो! हे यहोवा, हे मेरे उद्धारकर्ता, मेरी सहायता के लिये फुर्ती कर!