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नीतिवचन 5:1-14

नीतिवचन 5:1-14 HINOVBSI

हे मेरे पुत्र, मेरी बुद्धि की बातों पर ध्यान दे, मेरी समझ की ओर कान लगा; जिससे तेरा विवेक सुरक्षित बना रहे, और तू ज्ञान के वचनों को थामे रहे। क्योंकि पराई स्त्री के ओठों से मधु टपकता है, और उसकी बातें तेल से भी अधिक चिकनी होती हैं; परन्तु इसका परिणाम नागदौना सा कड़वा और दोधारी तलवार सा पैना होता है। उसके पाँव मृत्यु की ओर बढ़ते हैं, और उसके पग अधोलोक तक पहुँचते हैं। इसलिये उसे जीवन का समथर पथ नहीं मिल पाता; उसके चालचलन में चंचलता है, परन्तु उसे वह आप नहीं जानती। इसलिये अब हे मेरे पुत्रो, मेरी सुनो, और मेरी बातों से मुँह न मोड़ो। ऐसी स्त्री से दूर ही रह, और उसकी डेवढ़ी के पास भी न जाना; कहीं ऐसा न हो कि तू अपना यश औरों के हाथ, और अपना जीवन क्रूर जन के वश में कर दे; या पराए तेरी कमाई से अपना पेट भरें, और परदेशी मनुष्य तेरे परिश्रम का फल अपने घर में रखें; और तू अपने अन्तिम समय में जब कि तेरा शरीर क्षीण हो जाए तब यह कहकर हाय मारने लगे, “मैं ने शिक्षा से कैसा बैर किया, और डाँटनेवाले का कैसा तिरस्कार किया! मैं ने अपने गुरुओं की बातें न मानीं और अपने सिखानेवालों की ओर ध्यान न लगाया। मैं सभा और मण्डली के बीच में प्राय: सब बुराइयों में जा पड़ा।”