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नीतिवचन 29:18-27

नीतिवचन 29:18-27 HINOVBSI

जहाँ दर्शन की बात नहीं होती, वहाँ लोग निरंकुश हो जाते हैं, और जो व्यवस्था को मानता है, वह धन्य होता है। दास बातों ही के द्वारा सुधारा नहीं जाता, क्योंकि वह समझकर भी नहीं मानता। क्या तू बातें करने में उतावली करनेवाले मनुष्य को देखता है? उससे अधिक तो मूर्ख ही से आशा है। जो अपने दास को उसके लड़कपन से ही लाड़–प्यार से पालता है, वह दास अन्त में उसका बेटा बन बैठता है। क्रोध करनेवाला मनुष्य झगड़ा मचाता है, और अत्यन्त क्रोध करनेवाला अपराधी भी होता है। मनुष्य को गर्व के कारण नीचा देखना पड़ता है, परन्तु नम्र आत्मावाला महिमा का अधिकारी होता है। जो चोर की संगति करता है वह अपने प्राण का बैरी होता है; शपथ खाने पर भी वह बात को प्रगट नहीं करता। मनुष्य का भय खाना फन्दा हो जाता है, परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है उसका स्थान ऊँचा किया जाएगा। हाकिम से भेंट करना बहुत लोग चाहते हैं, परन्तु मनुष्य का न्याय यहोवा ही करता है। धर्मी लोग कुटिल मनुष्य से घृणा करते हैं, और दुष्‍ट जन भी सीधी चाल चलनेवाले से घृणा करता है।