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गिनती 23:13-23

गिनती 23:13-23 HINOVBSI

बालाक ने उससे कहा, “मेरे संग दूसरे स्थान पर चल, जहाँ से वे तुझे दिखाई देंगे; तू उन सभों को तो नहीं, केवल बाहरवालों को देख सकेगा; वहाँ से उन्हें मेरे लिये शाप दे।” तब वह उसको सोपीम नामक मैदान में पिसगा के सिरे पर ले गया, और वहाँ सात वेदियाँ बनवाकर प्रत्येक पर एक बछड़ा और एक मेढ़ा चढ़ाया। तब बिलाम ने बालाक से कहा, “अपने होमबलि के पास यहीं खड़ा रह, और मैं उधर जाकर यहोवा से भेंट करूँ।” और यहोवा ने बिलाम से भेंट की, और उसने उसके मुँह में एक बात डाली, और कहा, “बालाक के पास लौट जा, और यों कहना।” और वह उसके पास गया, और क्या देखता है कि वह मोआबी हाकिमों समेत अपने होमबलि के पास खड़ा है। और बालाक ने पूछा, “यहोवा ने क्या कहा है?” तब बिलाम ने अपनी गूढ़ बात आरम्भ की, और कहने लगा, “हे बालाक, मन लगाकर सुन, हे सिप्पोर के पुत्र, मेरी बात पर कान लगा : ईश्‍वर मनुष्य नहीं कि झूठ बोले, और न वह आदमी है कि अपनी इच्छा बदले। क्या जो कुछ उसने कहा उसे न करे? क्या वह वचन देकर उसे पूरा न करे? देख, आशीर्वाद ही देने की आज्ञा मैं ने पाई है : वह आशीष दे चुका है, और मैं उसे नहीं पलट सकता। उसने याक़ूब में अनर्थ नहीं पाया; और न इस्राएल में अन्याय देखा है। उसका परमेश्‍वर यहोवा उसके संग है, और उनमें राजा की सी ललकार होती है। उनको मिस्र में से ईश्‍वर ही निकाले लिये आ रहा है, वह तो बनैले सांड़ के समान बल रखता है। निश्‍चय कोई मंत्र याक़ूब पर नहीं चल सकता, और इस्राएल पर भावी कहना कोई अर्थ नहीं रखता; परन्तु याक़ूब और इस्राएल के विषय में अब यह कहा जाएगा, कि ईश्‍वर ने क्या ही विचित्र काम किया है!

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