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नहेम्याह 9:13-21

नहेम्याह 9:13-21 HINOVBSI

फिर तू ने सीनै पर्वत पर उतरकर आकाश में से उनके साथ बातें कीं, और उनको सीधे नियम, सच्‍ची व्यवस्था, और अच्छी विधियाँ, और आज्ञाएँ दीं। उन्हें अपने पवित्र विश्राम–दिन का ज्ञान दिया, और अपने दास मूसा के द्वारा आज्ञाएँ और विधियाँ और व्यवस्था दीं। उनकी भूख मिटाने को आकाश से उन्हें भोजन दिया और उनकी प्यास बुझाने को चट्टान में से उनके लिये पानी निकाला, और उन्हें आज्ञा दी कि जिस देश को तुम्हें देने की मैं ने शपथ खाई है उसके अधिकारी होने को तुम उसमें जाओ। “परन्तु उन्होंने और हमारे पुरखाओं ने अभिमान किया, और हठीले बने और तेरी आज्ञाएँ न मानी; और आज्ञा मानने से इन्कार किया, और जो आश्‍चर्यकर्म तू ने उनके बीच किए थे, उनका स्मरण न किया, वरन् हठ करके यहाँ तक बलवा करनेवाले बने, कि एक प्रधान ठहराया कि अपने दासत्व की दशा में लौटें। परन्तु तू क्षमा करनेवाला अनुग्रहकारी और दयालु, विलम्ब से कोप करनेवाला, और अतिकरुणामय ईश्‍वर है, तू ने उनको न त्यागा। वरन् जब उन्होंने बछड़ा ढालकर कहा, ‘तुम्हारा परमेश्‍वर जो तुम्हें मिस्र देश से छुड़ा लाया है, वह यही है,’ और तेरा बहुत तिरस्कार किया, तब भी तू ने, जो अति दयालु है, उनको जंगल में न त्यागा; न तो दिन को अगुआई करनेवाला बादल का खम्भा उन पर से हटा, और न रात को उजियाला देनेवाला और उनका मार्ग दिखानेवाला आग का खम्भा। वरन् तू ने उन्हें समझाने के लिये अपने आत्मा को जो भला है दिया, और अपना मन्ना उन्हें खिलाना न छोड़ा, और उनकी प्यास बुझाने को पानी देता रहा। चालीस वर्ष तक तू जंगल में उनका ऐसा पालन पोषण करता रहा कि उनको कुछ घटी न हुई; न तो उनके वस्त्र पुराने हुए और न उनके पाँव में सूजन हुई।