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मरकुस 5:21-34

मरकुस 5:21-34 HINOVBSI

जब यीशु फिर नाव से पार गया, तो एक बड़ी भीड़ उसके पास इकट्ठी हो गई। वह झील के किनारे ही था कि याईर नामक आराधनालय के सरदारों में से एक आया, और उसे देखकर उसके पाँवों पर गिरा, और यह कहकर उससे बहुत विनती की, “मेरी छोटी बेटी मरने पर है : तू आकर उस पर हाथ रख कि वह चंगी होकर जीवित रहे।” तब वह उसके साथ चला; और बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली, यहाँ तक कि लोग उस पर गिरे पड़ते थे। एक स्त्री थी, जिसको बारह वर्ष से लहू बहने का रोग था। उसने बहुत वैद्यों से बड़ा दु:ख उठाया, और अपना सब माल व्यय करने पर भी उसे कुछ लाभ न हुआ था, परन्तु और भी रोगी हो गई थी। वह यीशु की चर्चा सुनकर भीड़ में उसके पीछे से आई और उसके वस्त्र को छू लिया, क्योंकि वह कहती थी, “यदि मैं उसके वस्त्र ही को छू लूँगी, तो चंगी हो जाऊँगी।” और तुरन्त उसका लहू बहना बन्द हो गया, और उसने अपनी देह में जान लिया कि मैं उस बीमारी से अच्छी हो गई हूँ। यीशु ने तुरन्त अपने में जान लिया कि मुझ में से सामर्थ्य निकली है, और भीड़ में पीछे फिरकर पूछा, “मेरा वस्त्र किसने छुआ?” उसके चेलों ने उससे कहा, “तू देखता है कि भीड़ तुझ पर गिरी पड़ती है, और तू कहता है कि किसने मुझे छुआ?” तब उसने उसे देखने के लिये जिसने यह काम किया था, चारों ओर दृष्‍टि की। तब वह स्त्री यह जानकर कि मेरी कैसी भलाई हुई है, डरती और काँपती हुई आई, और उसके पाँवों पर गिरकर उससे सब हाल सच–सच कह दिया। उसने उससे कहा, “पुत्री, तेरे विश्‍वास ने तुझे चंगा किया है : कुशल से जा, और अपनी इस बीमारी से बची रह।”