मरकुस 14:1-26
मरकुस 14:1-26 HINOVBSI
दो दिन के बाद फसह और अखमीरी रोटी का पर्व होनेवाला था। प्रधान याजक और शास्त्री इस बात की खोज में थे कि उसे कैसे छल से पकड़ कर मार डालें; परन्तु कहते थे, “पर्व के दिन नहीं, कहीं ऐसा न हो कि लोगों में बलवा मचे।” जब वह बैतनिय्याह में शमौन कोढ़ी के घर भोजन करने बैठा हुआ था, तब एक स्त्री संगमरमर के पात्र में जटामांसी का बहुमूल्य शुद्ध इत्र लेकर आई; और पात्र तोड़ कर इत्र को उसके सिर पर उण्डेला। परन्तु कोई कोई अपने मन में रिसियाकर कहने लगे, “इस इत्र का क्यों सत्यानाश किया गया? क्योंकि यह इत्र तो तीन सौ दीनार से अधिक मूल्य में बेचा जा कर कंगालों में बाँटा जा सकता था।” और वे उसको झिड़कने लगे। यीशु ने कहा, “उसे छोड़ दो; उसे क्यों सताते हो? उस ने तो मेरे साथ भलाई की है। कंगाल तुम्हारे साथ सदा रहते हैं, और तुम जब चाहो तब उनसे भलाई कर सकते हो; पर मैं तुम्हारे साथ सदा न रहूँगा। जो कुछ वह कर सकी, उसने किया; उसने मेरे गाड़े जाने की तैयारी में पहले से मेरी देह पर इत्र मलाकी है। मैं तुम से सच कहता हूँ कि सारे जगत में जहाँ कहीं सुसमाचार प्रचार किया जाएगा, वहाँ उसके इस काम की चर्चा भी उसके स्मरण में की जाएगी।” तब यहूदा इस्करियोती जो बारह में से एक था, प्रधान याजकों के पास गया कि उसे उनके हाथ पकड़वा दे। वे यह सुनकर आनन्दित हुए, और उसको रुपये देना स्वीकार किया; और वह अवसर ढूँढ़ने लगा कि उसे किसी प्रकार पकड़वा दे। अखमीरी रोटी के पर्व के पहले दिन, जिसमें वे फसह का बलिदान करते थे, उसके चेलों ने उससे पूछा, “तू कहाँ चाहता है कि हम जाकर तेरे लिये फसह खाने की तैयारी करें?” उसने अपने चेलों में से दो को यह कहकर भेजा, “नगर में जाओ, और एक मनुष्य जल का घड़ा उठाए हुए तुम्हें मिलेगा, उसके पीछे हो लेना; और वह जिस घर में जाए, उस घर के स्वामी से कहना, ‘गुरु कहता है कि मेरी पाहुनशाला जिसमें मैं अपने चेलों के साथ फसह खाऊँ कहाँ है?’ वह तुम्हें एक सजी सजाई, और तैयार की हुई बड़ी अटारी दिखा देगा, वहाँ हमारे लिये तैयारी करो।” चेले निकलकर नगर में आये, और जैसा उसने उनसे कहा था, वैसा ही पाया; और फसह तैयार किया। जब साँझ हुई, तो वह बारहों के साथ आया। जब वे बैठे भोजन कर रहे थे, तो यीशु ने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ कि तुम में से एक, जो मेरे साथ भोजन कर रहा है, मुझे पकड़वाएगा।” उन पर उदासी छा गई और वे एक एक करके उससे कहने लगे, “क्या वह मैं हूँ?” उसने उनसे कहा, “वह बारहों में से एक है, जो मेरे साथ थाली में हाथ डालता है। क्योंकि मनुष्य का पुत्र तो, जैसा उसके विषय में लिखा है, जाता ही है; परन्तु उस मनुष्य पर हाय जिसके द्वारा मनुष्य का पुत्र पकड़वाया जाता है! यदि उस मनुष्य का जन्म ही न होता, तो उसके लिये भला होता।” जब वे खा ही रहे थे, उसने रोटी ली, और आशीष माँगकर तोड़ी, और उन्हें दी, और कहा, “लो, यह मेरी देह है।” फिर उसने कटोरा लेकर धन्यवाद किया, और उन्हें दिया; और उन सब ने उसमें से पीया। और उसने उनसे कहा, “यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिये बहाया जाता है। मैं तुम से सच कहता हूँ कि दाख का रस उस दिन तक फिर कभी न पीऊँगा, जब तक परमेश्वर के राज्य में नया न पीऊँ।” फिर वे भजन गाकर बाहर जैतून के पहाड़ पर गए।