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मत्ती 13:31-58

मत्ती 13:31-58 HINOVBSI

उसने उन्हें एक और दृष्‍टान्त दिया : “स्वर्ग का राज्य राई के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में बो दिया। वह सब बीजों से छोटा तो होता है पर जब बढ़ जाता है तब सब साग–पात से बड़ा होता है; और ऐसा पेड़ हो जाता है कि आकाश के पक्षी आकर उसकी डालियों पर बसेरा करते हैं।” उसने एक और दृष्‍टान्त उन्हें सुनाया : “स्वर्ग का राज्य खमीर के समान है जिसको किसी स्त्री ने लेकर तीन पसेरी आटे में मिला दिया और होते–होते वह सब खमीरा हो गया।” ये सब बातें यीशु ने दृष्‍टान्तों में लोगों से कहीं, और बिना दृष्‍टान्त वह उनसे कुछ न कहता था, कि जो वचन भविष्यद्वक्‍ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो : “मैं दृष्‍टान्त कहने को अपना मुँह खोलूँगा : मैं उन बातों को जो जगत की उत्पत्ति से गुप्‍त रही हैं प्रगट करूँगा।” तब वह भीड़ को छोड़कर घर में आया, और उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा, “खेत के जंगली दाने का दृष्‍टान्त हमें समझा दे।” उसने उनको उत्तर दिया, “अच्छे बीज का बोनेवाला मनुष्य का पुत्र है। खेत संसार है, अच्छा बीज राज्य की सन्तान, और जंगली बीज दुष्‍ट की सन्तान हैं। जिस शत्रु ने उनको बोया वह शैतान है; कटनी जगत का अन्त है, और काटनेवाले स्वर्गदूत हैं। अत: जैसे जंगली दाने बटोरे जाते और जलाए जाते हैं वैसा ही जगत के अन्त में होगा। मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा, और वे उसके राज्य में से सब ठोकर के कारणों को और कुकर्म करनेवालों को इकट्ठा करेंगे, और उन्हें आग के कुण्ड में डालेंगे, जहाँ रोना और दाँत पीसना होगा। उस समय धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य के समान चमकेंगे। जिसके कान हों वह सुन ले। “स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए धन के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने पाया और छिपा दिया, और मारे आनन्द के जाकर अपना सब कुछ बेच दिया और उस खेत को मोल ले लिया। “फिर स्वर्ग का राज्य एक व्यापारी के समान है जो अच्छे मोतियों की खोज में था। जब उसे एक बहुमूल्य मोती मिला तो उसने जाकर अपना सब कुछ बेच डाला और उसे मोल ले लिया। “फिर स्वर्ग का राज्य उस बड़े जाल के समान है जो समुद्र में डाला गया, और हर प्रकार की मछलियों को समेट लाया। और जब जाल भर गया, तो मछुए उसको किनारे पर खींच लाए, और बैठकर अच्छी–अच्छी तो बर्तनों में इकट्ठा कीं और निकम्मी निकम्मी फेंक दीं। जगत के अन्त में ऐसा ही होगा। स्वर्गदूत आकर दुष्‍टों को धर्मियों से अलग करेंगे, और उन्हें आग के कुण्ड में डालेंगे। जहाँ रोना और दाँत पीसना होगा। “क्या तुम ने ये सब बातें समझीं?” उन्होंने उससे कहा, “हाँ।” उसने उनसे कहा, “इसलिये हर एक शास्त्री जो स्वर्ग के राज्य का चेला बना है, उस गृहस्थ के समान है जो अपने भण्डार से नई और पुरानी वस्तुएँ निकालता है।” जब यीशु ये सब दृष्‍टान्त कह चुका, तो वहाँ से चला गया। और अपने नगर में आकर उनके आराधनालय में उन्हें ऐसा उपदेश देने लगा कि वे चकित होकर कहने लगे, “इसको यह ज्ञान और सामर्थ्य के काम कहाँ से मिले? क्या यह बढ़ई का बेटा नहीं? और क्या इसकी माता का नाम मरियम और इसके भाइयों के नाम याकूब, यूसुफ, शमौन और यहूदा नहीं?* और क्या इसकी सब बहिनें हमारे बीच में नहीं रहतीं? फिर इसको यह सब कहाँ से मिला?” इस प्रकार उन्होंने उसके कारण ठोकर खाई, पर यीशु ने उनसे कहा, “भविष्यद्वक्‍ता का अपने देश और अपने घर को छोड़ और कहीं निरादर नहीं होता।” और उसने वहाँ उनके अविश्‍वास के कारण बहुत से सामर्थ्य के काम नहीं किए।