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मलाकी 1:8-14

मलाकी 1:8-14 HINOVBSI

जब तुम अन्धे पशु को बलि करने के लिये समीप ले आते हो तो क्या यह बुरा नहीं? जब तुम लंगड़े या रोगी पशु को ले आते हो, तो क्या यह बुरा नहीं? अपने हाकिम के पास ऐसी भेंट ले जाओ; क्या वह तुम से प्रसन्न होगा या तुम पर अनुग्रह करेगा? सेनाओं के यहोवा का यही वचन है। “अब मैं तुम से कहता हूँ, ईश्‍वर से प्रार्थना करो कि हम लोगों पर अनुग्रह करे। यह तुम्हारे हाथ से हुआ है; तब क्या तुम समझते हो कि परमेश्‍वर तुम में से किसी का पक्ष करेगा? सेनाओं के यहोवा का यही वचन है। भला होता कि तुम में से कोई मन्दिर के किवाड़ों को बन्द करता कि तुम मेरी वेदी पर व्यर्थ आग जलाने न पाते! सेनाओं के यहोवा का यह वचन है, मैं तुम से कदापि प्रसन्न नहीं हूँ, और न तुम्हारे हाथ से भेंट ग्रहण करूँगा। क्योंकि उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक जाति–जाति में मेरा नाम महान् है, और हर कहीं मेरे नाम पर धूप और शुद्ध भेंट चढ़ाई जाती है; क्योंकि अन्यजातियों में मेरा नाम महान् है, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है। परन्तु तुम लोग उसको यह कहकर अपवित्र ठहराते हो कि यहोवा की मेज़ अशुद्ध है, और जो भोजनवस्तु उस पर से मिलती है वह भी तुच्छ है। फिर तुम यह भी कहते हो, ‘यह कैसा बड़ा उपद्रव है! सेनाओं के यहोवा का यह वचन है। तुम ने उस भोजनवस्तु के प्रति नाक–भौं सिकोड़ी, और अत्याचार से प्राप्‍त किए हुए और लंगड़े और रोगी पशु की भेंट ले आते हो! क्या मैं ऐसी भेंट तुम्हारे हाथ से ग्रहण करूँ? यहोवा का यही वचन है। जिस छली के झुण्ड में नर पशु हो परन्तु वह मन्नत मानकर परमेश्‍वर को वर्जित पशु चढ़ाए, वह शापित है; मैं तो महाराजा हूँ, और मेरा नाम जाति–जाति में भययोग्य है, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।

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