लूका 12:32-59
लूका 12:32-59 HINOVBSI
“हे छोटे झुण्ड, मत डर; क्योंकि तुम्हारे पिता को यह भाया है, कि तुम्हें राज्य दे। अपनी सम्पत्ति बेचकर दान कर दो; और अपने लिये ऐसे बटुए बनाओ जो पुराने नहीं होते, अर्थात् स्वर्ग पर ऐसा धन इकट्ठा करो जो घटता नहीं और जिसके निकट चोर नहीं जाता, और कीड़ा नहीं बिगाड़ता। क्योंकि जहाँ तुम्हारा धन है, वहाँ तुम्हारा मन भी लगा रहेगा। “तुम्हारी कमरें बन्धी रहें और तुम्हारे दीये जलते रहें, और तुम उन मनुष्यों के समान बनो, जो अपने स्वामी की बाट देख रहे हों कि वह विवाह से कब लौटेगा, कि जब वह आकर द्वार खटखटाए तो तुरन्त उसके लिये खोल दें। धन्य हैं वे दास जिन्हें स्वामी आकर जागते पाए; मैं तुम से सच कहता हूँ कि वह कमर बाँध कर उन्हें भोजन करने को बैठाएगा, और पास आकर उनकी सेवा करेगा। यदि वह रात के दूसरे पहर या तीसरे पहर में आकर उन्हें जागते पाए, तो वे दास धन्य हैं। परन्तु तुम यह जान रखो कि यदि घर का स्वामी जानता कि चोर किस घड़ी आएगा, तो जागता रहता और अपने घर में सेंध लगने न देता।* तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।” तब पतरस ने कहा, “हे प्रभु, क्या यह दृष्टान्त तू हम ही से या सबसे कहता है।” प्रभु ने कहा, “वह विश्वासयोग्य और बुद्धिमान भण्डारी कौन है, जिसका स्वामी उसे नौकर चाकरों पर सरदार ठहराए कि उन्हें समय पर भोजन सामग्री दे। धन्य है वह दास, जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा ही करते पाए। मैं तुम से सच कहता हूँ, वह उसे अपनी सब सम्पत्ति पर अधिकारी ठहराएगा। परन्तु यदि वह दास सोचने लगे कि मेरा स्वामी आने में देर कर रहा है, और दासों और दासियों को मारने–पीटने लगे, और खाने–पीने और पियक्कड़ होने लगे। तो उस दास का स्वामी ऐसे दिन, जब वह उसकी बाट जोहता न रहे, और ऐसी घड़ी जिसे वह जानता न हो, आएगा और उसे भारी दण्ड देकर उसका भाग अविश्वासियों के साथ ठहराएगा। वह दास जो अपने स्वामी की इच्छा जानता था, और तैयार न रहा और न उसकी इच्छा के अनुसार चला, बहुत मार खाएगा। परन्तु जो नहीं जानकर मार खाने के योग्य काम करे वह थोड़ी मार खाएगा। इसलिये जिसे बहुत दिया गया है, उससे बहुत माँगा जाएगा; और जिसे बहुत सौंपा गया है, उससे बहुत लिया जाएगा। “मैं पृथ्वी पर आग लगाने आया हूँ; और क्या चाहता हूँ केवल यह कि अभी सुलग जाती! मुझे तो एक बपतिस्मा लेना है, और जब तक वह न हो ले तब तक मैं कैसी व्यथा में रहूँगा! क्या तुम समझते हो कि मैं पृथ्वी पर मिलाप कराने आया हूँ? मैं तुम से कहता हूँ; नहीं, वरन् अलग कराने आया हूँ। क्योंकि अब से एक घर में पाँच जन आपस में विरोध रखेंगे, तीन दो से और दो तीन से। पिता पुत्र से, और पुत्र पिता से विरोध रखेगा; माँ बेटी से, और बेटी माँ से, सास बहू से, और बहू सास से विरोध रखेगी।” उसने भीड़ से भी कहा, “जब तुम बादल को पश्चिम से उठते देखते हो तो तुरन्त कहते हो कि वर्षा होगी,और ऐसा ही होता है; और जब दक्षिणी हवा चलती देखते हो तो कहते हो कि लूह चलेगी, और ऐसा ही होता है। हे कपटियो, तुम धरती और आकाश के रूप–रंग में भेद कर सकते हो, परन्तु इस युग के विषय में क्यों भेद करना नहीं जानते? “तुम आप ही निर्णय क्यों नहीं कर लेते कि उचित क्या है? जब तू अपने मुद्दई के साथ हाकिम के पास जा रहा है तो मार्ग ही में उससे छूटने का यत्न कर ले, ऐसा न हो कि वह तुझे न्यायी के पास खींच ले जाए, और न्यायी तुझे सिपाही को सौंपे और सिपाही तुझे बन्दीगृह में डाल दे। मैं तुम से कहता हूँ कि जब तक तू दमड़ी–दमड़ी भर न देगा तब तक वहाँ से छूटने न पाएगा।”