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लैव्यव्यवस्था 8

8
हारून और उसके पुत्रों का अभिषेक
(निर्ग 29:1–37)
1फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 2“तू हारून और उसके पुत्रों के वस्त्रों, और अभिषेक के तेल, और पापबलि के बछड़े, और दोनों मेढ़ों, और अख़मीरी रोटी की टोकरी को 3मिलापवाले तम्बू के द्वार पर ले आ, और वहीं सारी मण्डली को इकट्ठा कर।”
4यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार मूसा ने किया; और मण्डली मिलापवाले तम्बू के द्वार पर इकट्ठा हुई। 5तब मूसा ने मण्डली से कहा, “जो काम करने की आज्ञा यहोवा ने दी है वह यह है।”
6फिर मूसा ने हारून और उसके पुत्रों को समीप ले जाकर जल से नहलाया। 7तब उसने उनको अंगरखा पहिनाया, और कटिबन्द लपेटकर बागा पहिना दिया, और एपोद लगाकर एपोद के काढ़े हुए पट्टे से एपोद को बाँधकर कस दिया। 8और उस ने चपरास लगाकर चपरास में ऊरीम और तुम्मीम#निर्ग 28:30 रख दिए। 9तब उस ने उसके सिर पर पगड़ी बाँधकर पगड़ी के सामने सोने के टीके को, अर्थात् पवित्र मुकुट को लगाया, जिस प्रकार यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
10तब मूसा ने अभिषेक का तेल लेकर निवास का और जो कुछ उसमें था उन सब का भी अभिषेक करके उन्हें पवित्र किया। 11और उस तेल में से कुछ उसने वेदी पर सात बार छिड़का, और कुल सामान समेत वेदी का और पाए समेत हौदी का अभिषेक करके उन्हें पवित्र किया। 12और उसने अभिषेक के तेल में से कुछ हारून के सिर पर डालकर उसका अभिषेक करके उसे पवित्र किया। 13फिर मूसा ने हारून के पुत्रों को समीप ले आकर, अंगरखे पहिनाकर, कटिबन्द बाँध के उनके सिर पर टोपी रख दी, जिस प्रकार यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
14तब वह पापबलि के बछड़े को समीप ले गया; और हारून और उसके पुत्रों ने अपने अपने हाथ पापबलि के बछड़े के सिर पर रखे। 15तब वह बलि किया गया, और मूसा ने लहू लेकर उंगली से वेदी के चारों सींगों पर लगाकर पवित्र किया, और लहू को वेदी के पाए पर उंडेल दिया, और उसके लिये प्रायश्‍चित्त करके उसको पवित्र किया। 16और मूसा ने अंतड़ियों पर की सब चरबी, और कलेजे पर की झिल्‍ली, और चरबी समेत दोनों गुर्दों को लेकर वेदी पर जलाया। 17परन्तु बछड़े में से जो कुछ शेष रह गया उसको, अर्थात् गोबर समेत उसकी खाल और मांस को उसने छावनी से बाहर आग में जलाया, जिस प्रकार यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
18फिर वह होमबलि के मेढ़े को समीप ले गया, और हारून और उसके पुत्रों ने अपने अपने हाथ मेढ़े के सिर पर रखे। 19तब वह बलि किया गया, और मूसा ने उसका लहू वेदी पर चारों ओर छिड़का। 20तब मेढ़ा टुकड़े टुकड़े किया गया, और मूसा ने सिर और चरबी समेत टुकड़ों को जलाया। 21तब अंतड़ियाँ और पाँव जल से धोये गए, और मूसा ने पूरे मेढ़े को वेदी पर जलाया, और वह सुखदायक सुगन्ध देने के लिये होमबलि और यहोवा के लिये हव्य हो गया, जिस प्रकार यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
22फिर वह दूसरे मेढ़े को जो संस्कार का मेढ़ा था समीप ले गया, और हारून और उसके पुत्रों ने अपने अपने हाथ मेढ़े के सिर पर रखे। 23तब वह बलि किया गया और मूसा ने उसके लहू में से कुछ लेकर हारून के दाहिने कान के सिरे पर और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पाँव के अंगूठों पर लगाया। 24और वह हारून के पुत्रों को समीप ले गया, और लहू में से कुछ एक एक के दाहिने कान के सिरे पर और दाहिने हाथ और दाहिने पाँव के अंगूठों पर लगाया; और मूसा ने लहू को वेदी पर चारों ओर छिड़का। 25और उसने चरबी, और मोटी पूंछ, और अंतड़ियों पर की सब चरबी, और कलेजे पर की झिल्‍ली समेत दोनों गुर्दे, और दाहिनी जाँघ, ये सब लेकर अलग रखे; 26और अख़मीरी रोटी की टोकरी जो यहोवा के आगे रखी गई थी उसमें से एक रोटी, और तेल से सने हुए मैदे का एक फुलका, और एक रोटी लेकर चरबी और दाहिनी जाँघ पर रख दी; 27और ये सब वस्तुएँ हारून और उसके पुत्रों के हाथों पर धर दी गईं, और हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के आगे हिलाई गईं। 28तब मूसा ने उन्हें फिर उनके हाथों पर से लेकर उन्हें वेदी पर होमबलि के ऊपर जलाया, यह सुखदायक सुगन्ध देने के लिये संस्कार की भेंट और यहोवा के लिये हव्य था। 29तब मूसा ने छाती को लेकर हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के आगे हिलाया; और संस्कार के मेढ़े में से मूसा का भाग यही हुआ जैसा यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
30तब मूसा ने अभिषेक के तेल और वेदी पर के लहू, दोनों में से कुछ लेकर हारून और उसके वस्त्रों पर, और उसके पुत्रों और उनके वस्त्रों पर भी छिड़का; और उसने वस्त्रों समेत हारून को भी पवित्र किया।
31तब मूसा ने हारून और उसके पुत्रों से कहा, “मांस को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर पकाओ, और उस रोटी को जो संस्कार की टोकरी में है वहीं खाओ, जैसा मैं ने आज्ञा दी है कि हारून और उसके पुत्र उसे खाएँ। 32और मांस और रोटी में से जो शेष रह जाए उसे आग में जला देना। 33और जब तक तुम्हारे संस्कार के दिन पूरे न हों तब तक, अर्थात् सात दिन तक मिलापवाले तम्बू के द्वार के बाहर न जाना, क्योंकि वह सात दिन तक तुम्हारा संस्कार करता रहेगा। 34जिस प्रकार आज किया गया है वैसा ही करने की आज्ञा यहोवा ने दी है, जिससे तुम्हारा प्रायश्‍चित्त किया जाए। 35इसलिये तुम मिलापवाले तम्बू के द्वार पर सात दिन तक दिन रात ठहरे रहना, और यहोवा की आज्ञा को मानना, ताकि तुम मर न जाओ; क्योंकि ऐसी ही आज्ञा मुझे दी गई है।” 36तब यहोवा की इन्हीं सब आज्ञाओं के अनुसार जो उसने मूसा के द्वारा दी थीं, हारून और उसके पुत्रों ने किया।

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