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यशायाह 61:1-7

यशायाह 61:1-7 HINOVBSI

प्रभु यहोवा का आत्मा मुझ पर है; क्योंकि यहोवा ने सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया और मुझे इसलिये भेजा है कि खेदित मन के लोगों को शान्ति दूँ; कि बन्दियों के लिये स्वतंत्रता का और कैदियों के लिये छुटकारे का प्रचार करूँ; कि यहोवा के प्रसन्न रहने के वर्ष का और हमारे परमेश्‍वर के पलटा लेने के दिन का प्रचार करूँ; कि सब विलाप करनेवालों को शांति दूँ। और सिय्योन के विलाप करनेवालों के सिर पर की राख दूर करके सुन्दर पगड़ी बाँध दूँ, कि उनका विलाप दूर करके हर्ष का तेल लगाऊँ और उनकी उदासी हटाकर यश का ओढ़ना ओढ़ाऊँ; जिस से वे धर्म के बांजवृक्ष और यहोवा के लगाए हुए कहलाएँ और जिससे उसकी महिमा प्रगट हो। तब वे बहुत काल के उजड़े हुए स्थानों को फिर बसाएँगे, पूर्वकाल से पड़े हुए खण्डहरों में वे फिर घर बनाएँगे; उजड़े हुए नगरों को जो पीढ़ी पीढ़ी से उजड़े हुए हों वे फिर नये सिरे से बसाएँगे। परदेशी आ खड़े होंगे और तुम्हारी भेड़–बकरियों को चराएँगे और विदेशी लोग तुम्हारे हल चलानेवाले और दाख की बारी के माली होंगे; पर तुम यहोवा के याजक कहलाओगे, वे तुम को हमारे परमेश्‍वर के सेवक कहेंगे; और तुम जाति जाति की धन–सम्पत्ति को खाओगे, उनके वैभव की वस्तुएँ पाकर तुम बड़ाई करोगे। तुम्हारी नामधराई के बदले दूना भाग मिलेगा, अनादर के बदले तुम अपने भाग के कारण जयजयकार करोगे; तुम* अपने देश में दूने भाग के अधिकारी होगे; और सदा आनन्दित बने रहोगे।