YouVersion Logo
Search Icon

निर्गमन 10

10
टिड्डियों का आक्रमण
1फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “फ़िरौन के पास जा; क्योंकि मैं ही ने उसके और उसके कर्मचारियों के मन को इसलिये कठोर कर दिया है कि अपने चिह्न उनके बीच में दिखलाऊँ; 2और तुम लोग अपने बेटों और पोतों से इसका वर्णन करो कि यहोवा ने मिस्रियों को कैसे ठट्ठों में उड़ाया और अपने क्या क्या चिह्न उनके बीच प्रगट किए हैं; जिससे तुम यह जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।”
3तब मूसा और हारून ने फ़िरौन के पास जाकर कहा, “इब्रियों का परमेश्‍वर यहोवा तुझ से इस प्रकार कहता है : तू कब तक मेरे सामने दीन होने से संकोच करता रहेगा? मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे कि वे मेरी उपासना करें। 4यदि तू मेरी प्रजा को जाने न दे तो सुन, कल मैं तेरे देश में टिड्डियाँ ले आऊँगा, 5और वे धरती को ऐसा छा लेंगी कि वह देख न पड़ेगी; और तुम्हारा जो कुछ ओलों से बच रहा है उसको वे चट कर जाएँगी, और तुम्हारे जितने वृक्ष मैदान में लगे हैं उनको भी वे चट कर जाएँगी, 6और वे तेरे और तेरे सारे कर्मचारियों, यहाँ तक कि सारे मिस्रियों के घरों में भर जाएँगी; इतनी टिड्डियाँ तेरे बापदादों ने या उनके पुरखाओं ने जब से पृथ्वी पर जन्मे तब से आज तक कभी न देखीं।” तब वह मुड़ कर फ़िरौन के पास से बाहर चला गया।
7तब फ़िरौन के कर्मचारी उससे कहने लगे, “वह जन कब तक हमारे लिये फन्दा बना रहेगा? उन मनुष्यों को जाने दे कि वे अपने परमेश्‍वर यहोवा की उपासना करें। क्या तू अब तक नहीं जानता कि सारा मिस्र नष्‍ट हो गया है?” 8तब मूसा और हारून फ़िरौन के पास फिर बुलवाए गए, और उसने उनसे कहा, “चले जाओ, अपने परमेश्‍वर यहोवा की उपासना करो; परन्तु वे जो जाने वाले हैं कौन–कौन हैं?” 9मूसा ने कहा, “हम तो बेटों–बेटियों, भेड़–बकरियों, गाय–बैलों समेत वरन् बच्‍चों से बूढ़ों तक सब के सब जाएँगे, क्योंकि हमें यहोवा के लिये पर्व करना है।” 10उस ने इस प्रकार उनसे कहा, “यहोवा तुम्हारे संग रहे यदि मैं तुम्हें बच्‍चों समेत जाने देता हूँ; देखो, तुम्हारे मन में बुराई है। 11नहीं, ऐसा नहीं होने पाएगा; तुम पुरुष ही जाकर यहोवा की उपासना करो, तुम यही तो चाहते थे।” और वे फ़िरौन के सम्मुख से निकाल दिए गए।
12तब यहोवा ने मूसा से कहा, “मिस्र देश के ऊपर अपना हाथ बढ़ा कि टिड्डियाँ मिस्र देश पर चढ़ के भूमि का जितना अन्न आदि ओलों से बचा है सब को चट कर जाएँ।” 13अत: मूसा ने अपनी लाठी को मिस्र देश के ऊपर बढ़ाया, तब यहोवा ने दिन भर और रात भर देश पर पुरवाई बहाई; और जब भोर हुआ तब उस पुरवाई में टिड्डियाँ आईं। 14और टिड्डियों ने चढ़ के मिस्र देश के सारे स्थानों में बसेरा किया, उनका दल बहुत भारी था, वरन् न तो उनसे पहले ऐसी टिड्डियाँ आई थीं, और न उनके बाद ऐसी फिर आएँगी।* 15वे तो सारी धरती पर छा गईं, यहाँ तक कि देश में अन्धकार छा गया; और उसका सारा अन्न आदि और वृक्षों के सब फल, अर्थात्, जो कुछ ओलों से बचा था, सब को उन्होंने चट कर लिया; यहाँ तक कि मिस्र देश भर में न तो किसी वृक्ष पर कुछ हरियाली रह गई और न खेत में अनाज रह गया।#प्रका 9:2,3 16तब फ़िरौन ने तुरन्त मूसा और हारून को बुलवा के कहा, “मैं ने तो तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा का और तुम्हारा भी अपराध किया है। 17इसलिये केवल अब की बार मेरा अपराध क्षमा करो, और अपने परमेश्‍वर यहोवा से विनती करो कि वह मेरे ऊपर से इस मृत्यु को दूर करे।” 18तब मूसा ने फ़िरौन के पास से निकल कर यहोवा से विनती की। 19तब यहोवा ने बहुत प्रचण्ड पश्‍चिमी हवा बहाकर टिड्डियों को उड़ाकर लाल समुद्र में डाल दिया, और मिस्र के किसी स्थान में एक भी टिड्डी न रह गई। 20तौभी यहोवा ने फ़िरौन के मन को कठोर कर दिया, जिस से उसने इस्राएलियों को जाने न दिया।
अन्धकार
21फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “अपना हाथ आकाश की ओर बढ़ा कि मिस्र देश के ऊपर अन्धकार छा जाए, ऐसा अन्धकार कि टटोला जा सके।” 22तब मूसा ने अपना हाथ आकाश की ओर बढ़ाया, और सारे मिस्र देश में तीन दिन तक घोर अन्धकार छाया रहा।#भजन 105:28; प्रका 16:10 23तीन दिन तक न तो किसी ने किसी को देखा, और न कोई अपने स्थान से उठा; परन्तु सारे इस्राएलियों के घरों में उजियाला रहा। 24तब फ़िरौन ने मूसा को बुलवाकर कहा, “तुम लोग जाओ, यहोवा की उपासना करो; अपने बालकों को भी संग ले जाओ; केवल अपनी भेड़–बकरी और गाय–बैल को छोड़ जाओ।” 25मूसा ने कहा, “तुझ को हमारे हाथ मेलबलि और होमबलि के पशु भी देने पड़ेंगे, जिन्हें हम अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिये चढ़ाएँ। 26इसलिये हमारे पशु भी हमारे संग जाएँगे, उनका एक खुर तक न रह जाएगा, क्योंकि उन्हीं में से हम को अपने परमेश्‍वर यहोवा की उपासना का सामान लेना होगा, और हम जब तक वहाँ न पहुँचें तब तक नहीं जानते कि क्या क्या लेकर यहोवा की उपासना करनी होगी।” 27पर यहोवा ने फ़िरौन का मन हठीला कर दिया, जिससे उसने उन्हें जाने न दिया। 28तब फ़िरौन ने उससे कहा, “मेरे सामने से चला जा; और सचेत रह; मुझे अपना मुख फिर न दिखाना; क्योंकि जिस दिन तू मुझे मुँह दिखाए उसी दिन तू मारा जाएगा।” 29मूसा ने कहा, “तू ने ठीक कहा है; मैं तेरे मुँह को फिर कभी न देखूँगा।”

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in