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प्रेरितों 19:1-20

प्रेरितों 19:1-20 HINOVBSI

जब अपुल्‍लोस कुरिन्थुस में था, तो पौलुस ऊपर के सारे प्रदेश से होकर इफिसुस में आया। वहाँ कुछ चेलों को देखकर उनसे कहा, “क्या तुम ने विश्‍वास करते समय पवित्र आत्मा पाया?” उन्होंने उससे कहा, “हम ने तो पवित्र आत्मा की चर्चा भी नहीं सुनी।” उसने उनसे कहा, “तो फिर तुम ने किसका बपतिस्मा लिया?” उन्होंने कहा, “यूहन्ना का बपतिस्मा।” पौलुस ने कहा, “यूहन्ना ने यह कहकर मन फिराव का बपतिस्मा दिया कि जो मेरे बाद आनेवाला है, उस पर अर्थात् यीशु पर विश्‍वास करना।” यह सुनकर उन्होंने प्रभु यीशु के नाम में बपतिस्मा लिया। जब पौलुस ने उन पर हाथ रखे, तो पवित्र आत्मा उन पर उतरा, और वे भिन्न–भिन्न भाषा बोलने और भविष्यद्वाणी करने लगे। ये सब लगभग बारह पुरुष थे। वह आराधनालय में जाकर तीन महीने तक निडर होकर बोलता रहा, और परमेश्‍वर के राज्य के विषय में विवाद करता और समझाता रहा। परन्तु जब कुछ लोगों ने कठोर होकर उसकी नहीं मानी वरन् लोगों के सामने इस मार्ग को बुरा कहने लगे, तो उसने उनको छोड़ दिया और चेलों को अलग कर लिया, और प्रतिदिन तुरन्नुस की पाठशाला में वाद–विवाद किया करता था। दो वर्ष तक यही होता रहा, यहाँ तक कि आसिया के रहनेवाले क्या यहूदी क्या यूनानी सब ने प्रभु का वचन सुन लिया। परमेश्‍वर पौलुस के हाथों से सामर्थ्य के अनोखे काम दिखाता था। यहाँ तक कि रूमाल और अंगोछे उसकी देह से स्पर्श करा कर बीमारों पर डालते थे, और उनकी बीमारियाँ जाती रहती थीं; और दुष्‍टात्माएँ उनमें से निकल जाया करती थीं। परन्तु कुछ यहूदी जो झाड़ा फूँकी करते फिरते थे, यह करने लगे कि जिनमें दुष्‍टात्मा हो उन पर प्रभु यीशु का नाम यह कहकर फूँके, “जिस यीशु का प्रचार पौलुस करता है, मैं तुम्हें उसी की शपथ देता हूँ।” और स्क्‍किवा नाम के एक यहूदी महायाजक के सात पुत्र थे, जो ऐसा ही करते थे। पर दुष्‍टात्मा ने उनको उत्तर दिया, “यीशु को मैं जानती हूँ, और पौलुस को भी पहचानती हूँ, परन्तु तुम कौन हो?” और उस मनुष्य ने जिसमें दुष्‍ट आत्मा थी उन पर लपककर और उन्हें वश में लाकर, उन पर ऐसा उपद्रव किया कि वे नंगे और घायल होकर उस घर से निकल भागे। यह बात इफिसुस के रहनेवाले सब यहूदी और यूनानी भी जान गए, और उन सब पर भय छा गया; और प्रभु यीशु के नाम की बड़ाई हुई। जिन्होंने विश्‍वास किया था, उनमें से बहुतेरों ने आकर अपने अपने कामों को मान लिया और प्रगट किया। जादू करनेवालों में से बहुतों ने अपनी–अपनी पोथियाँ इकट्ठी करके सब के सामने जला दीं, और जब उनका दाम जोड़ा गया, तो पचास हज़ार चाँदी के सिक्‍कों के बराबर निकला। इस प्रकार प्रभु का वचन बलपूर्वक फैलता और प्रबल होता गया।