प्रेरितों 15:1-21
प्रेरितों 15:1-21 HINOVBSI
फिर कुछ लोग यहूदिया से आकर भाइयों को सिखाने लगे : “यदि मूसा की रीति पर तुम्हारा खतना न हो तो तुम उद्धार नहीं पा सकते।” जब पौलुस और बरनबास का उनसे बहुत झगड़ा और वाद–विवाद हुआ तो यह ठहराया गया कि पौलुस और बरनबास और उनमें से कुछ व्यक्ति इस बात के विषय में प्रेरितों और प्राचीनों के पास यरूशलेम को जाएँ। अत: कलीसिया ने उन्हें कुछ दूर तक पहुँचाया; और वे फीनीके और सामरिया से होते हुए अन्यजातियों के मन फिराने का समाचार सुनाते गए, और सब भाई बहुत आनन्दित हुए। जब वे यरूशलेम पहुँचे, तो कलीसिया और प्रेरित और प्राचीन उनसे आनन्द के साथ मिले, और उन्होंने बताया कि परमेश्वर ने उनके साथ होकर कैसे–कैसे काम किए थे। परन्तु फरीसियों के पंथ में से जिन्होंने विश्वास किया था, उनमें से कुछ ने उठकर कहा, “उन्हें खतना कराने और मूसा की व्यवस्था को मानने की आज्ञा देनी चाहिए।” तब प्रेरित और प्राचीन इस बात के विषय में विचार करने के लिये इकट्ठे हुए। तब पतरस ने बहुत वाद–विवाद हो जाने के बाद खड़े होकर उनसे कहा, “हे भाइयो, तुम जानते हो कि बहुत दिन हुए परमेश्वर ने तुम में से मुझे चुन लिया कि मेरे मुँह से अन्यजातीय सुसमाचार का वचन सुनकर विश्वास करें। मन के जाँचनेवाले परमेश्वर ने उनको भी हमारे समान पवित्र आत्मा देकर उनकी गवाही दी; और विश्वास के द्वारा उनके मन शुद्ध करके हम में और उन में कुछ भेद न रखा। तो अब तुम क्यों परमेश्वर की परीक्षा करते हो कि चेलों की गरदन पर ऐसा जूआ रखो, जिसे न हमारे बापदादे उठा सके थे और न हम उठा सकते हैं? हाँ, हमारा यह निश्चय है कि जिस रीति से वे प्रभु यीशु के अनुग्रह से उद्धार पाएँगे; उसी रीति से हम भी पाएँगे।” तब सारी सभा चुपचाप बरनबास और पौलुस की सुनने लगी, कि परमेश्वर ने उनके द्वारा अन्यजातियों में कैसे बड़े–बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाए। जब वे चुप हुए तो याकूब कहने लगा, “हे भाइयो, मेरी सुनो। शमौन ने बताया कि परमेश्वर ने पहले पहल अन्यजातियों पर कैसी कृपादृष्टि की कि उनमें से अपने नाम के लिए एक लोग बना ले। इससे भविष्यद्वक्ताओं की बातें भी मिलती हैं, जैसा कि लिखा है, ‘इसके बाद मैं फिर आकर दाऊद का गिरा हुआ डेरा उठाऊँगा, और उसके खंडहरों को फिर बनाऊँगा, और उसे खड़ा करूँगा, इसलिये कि शेष मनुष्य, अर्थात् सब अन्यजाति जो मेरे नाम के कहलाते हैं, प्रभु को ढूँढ़े, यह वही प्रभु कहता है जो जगत की उत्पत्ति से इन बातों का समाचार देता आया है।’ इसलिये मेरा विचार यह है कि अन्यजातियों में से जो लोग परमेश्वर की ओर फिरते हैं, हम उन्हें दु:ख न दें; परन्तु उन्हें लिख भेजें कि वे मूरतों की अशुद्धताओं और व्यभिचार और गला घोंटे हुओं के मांस से और लहू से दूर रहें। क्योंकि प्राचीन काल से नगर नगर मूसा की व्यवस्था का प्रचार करनेवाले होते चले आए हैं, और वह हर सब्त के दिन आराधनालय में पढ़ी जाती है।”