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प्रेरितों 13:26-52

प्रेरितों 13:26-52 HINOVBSI

“हे भाइयो, तुम जो अब्राहम की सन्तान हो; और तुम जो परमेश्‍वर से डरते हो, तुम्हारे पास इस उद्धार का वचन भेजा गया है। क्योंकि यरूशलेम के रहनेवालों और उनके सरदारों ने, न उसे पहचाना और न भविष्यद्वक्‍ताओं की बातें समझीं, जो हर सब्त के दिन पढ़ी जाती हैं, इसलिये उसे दोषी ठहराकर उन बातों को पूरा किया। उन्होंने मार डालने के योग्य कोई दोष उसमें न पाया, तौभी पिलातुस से विनती की कि वह मार डाला जाए। जब उन्होंने उसके विषय में लिखी हुई सब बातें पूरी कीं, तो उसे क्रूस पर से उतारकर कब्र में रखा। परन्तु परमेश्‍वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, और वह उन्हें जो उसके साथ गलील से यरूशलेम आए थे, बहुत दिनों तक दिखाई देता रहा; लोगों के सामने अब वे ही उसके गवाह हैं। हम तुम्हें उस प्रतिज्ञा के विषय में जो बापदादों से की गई थी, यह सुसमाचार सुनाते हैं, कि परमेश्‍वर ने यीशु को जिलाकर, वही प्रतिज्ञा हमारी सन्तान के लिये पूरी की; जैसा दूसरे भजन में भी लिखा है, ‘तू मेरा पुत्र है; आज मैं ही ने तुझे जन्माया है।’ और उसके इस रीति से मरे हुओं में से जिलाने के विषय में भी कि वह कभी न सड़े, उसने यों कहा है, ‘मैं दाऊद पर की पवित्र और अटल कृपा तुम पर करूँगा।’ इसलिये उसने एक और भजन में भी कहा है, ‘तू अपने पवित्र जन को सड़ने न देगा।’ क्योंकि दाऊद तो परमेश्‍वर की इच्छा के अनुसार अपने समय में सेवा करके सो गया, और अपने बापदादों में जा मिला, और सड़ भी गया। परन्तु जिसको परमेश्‍वर ने जिलाया, वह सड़ने नहीं पाया। इसलिये, हे भाइयो, तुम जान लो कि इसी के द्वारा पापों की क्षमा का समाचार तुम्हें दिया जाता है; और जिन बातों में तुम मूसा की व्यवस्था के द्वारा निर्दोष नहीं ठहर सकते थे, उन्हीं सब में हर एक विश्‍वास करनेवाला उसके द्वारा निर्दोष ठहरता है। इसलिये चौकस रहो, ऐसा न हो कि जो भविष्यद्वक्‍ताओं की पुस्तक में आया है, तुम पर भी आ पड़े : ‘हे निन्दा करनेवालो, देखो, और चकित हो, और मिट जाओ; क्योंकि मैं तुम्हारे दिनों में एक काम करता हूँ, ऐसा काम कि यदि कोई तुम से उसकी चर्चा करे, तो तुम कभी विश्‍वास न करोगे’।” उनके बाहर निकलते समय लोग उनसे विनती करने लगे कि अगले सब्त के दिन हमें ये बातें फिर सुनाई जाएँ। जब सभा उठ गई तो यहूदियों और यहूदी मत में आए हुए भक्‍तों में से बहुत से पौलुस और बरनबास के पीछे हो लिए; और उन्होंने उनसे बातें करके समझाया कि परमेश्‍वर के अनुग्रह में बने रहो। अगले सब्त के दिन नगर के प्राय: सब लोग परमेश्‍वर का वचन सुनने को इकट्ठे हो गए। परन्तु यहूदी भीड़ को देखकर डाह से भर गए, और निन्दा करते हुए पौलुस की बातों के विरोध में बोलने लगे। तब पौलुस और बरनबास ने निडर होकर कहा, “अवश्य था कि परमेश्‍वर का वचन पहले तुम्हें सुनाया जाता; परन्तु जब तुम उसे दूर हटाते हो, और अपने को अनन्त जीवन के योग्य नहीं ठहराते, तो देखो, हम अन्यजातियों की ओर फिरते हैं। क्योंकि प्रभु ने हमें यह आज्ञा दी है, ‘मैं ने तुझे अन्यजातियों के लिये ज्योति ठहराया है, ताकि तू पृथ्वी की छोर तक उद्धार का द्वार हो’।” यह सुनकर अन्यजातीय आनन्दित हुए, और परमेश्‍वर के वचन की बड़ाई करने लगे; और जितने अनन्त जीवन के लिये ठहराए गए थे, उन्होंने विश्‍वास किया। तब प्रभु का वचन उस सारे देश में फैलने लगा। परन्तु यहूदियों ने भक्‍त और कुलीन स्त्रियों को और नगर के प्रमुख लोगों को उसकाया, और पौलुस और बरनबास के विरुद्ध उपद्रव करवाकर उन्हें अपनी सीमा से निकाल दिया। तब वे उनके सामने अपने पाँवों की धूल झाड़कर इकुनियुम को चले गए। और चेले आनन्द से और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होते गए।