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प्रेरितों 13:1-25

प्रेरितों 13:1-25 HINOVBSI

अन्ताकिया की कलीसिया में कई भविष्यद्वक्‍ता और उपदेशक थे; जैसे : बरनबास और शमौन जो नीगर कहलाता है; और लूकियुस कुरेनी, और चौथाई देश के राजा हेरोदेस का दूधभाई मनाहेम, और शाऊल। जब वे उपवास सहित प्रभु की उपासना कर रहे थे, तो पवित्र आत्मा ने कहा, “मेरे लिये बरनबास और शाऊल को उस काम के लिये अलग करो जिसके लिये मैं ने उन्हें बुलाया है।” तब उन्होंने उपवास और प्रार्थना करके और उन पर हाथ रखकर उन्हें विदा किया। अत: वे पवित्र आत्मा के भेजे हुए सिलूकिया को गए; और वहाँ से जहाज पर चढ़कर साइप्रस को चले; और सलमीस में पहुँचकर, परमेश्‍वर का वचन यहूदियों के आराधनालयों में सुनाया। यूहन्ना उनका सेवक था। वे उस सारे टापू में होते हुए पाफुस तक पहुँचे। वहाँ उन्हें बार–यीशु नामक एक यहूदी टोन्हा और झूठा भविष्यद्वक्‍ता मिला। वह हाकिम सिरगियुस पौलुस के साथ था, जो बुद्धिमान पुरुष था। उसने बरनबास और शाऊल को अपने पास बुलाकर परमेश्‍वर का वचन सुनना चाहा। परन्तु इलीमास टोन्हे ने, क्योंकि यही उसके नाम का अर्थ है, उनका विरोध करके हाकिम को विश्‍वास करने से रोकना चाहा। तब शाऊल ने जिसका नाम पौलुस भी है, पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो उसकी ओर टकटकी लगाकर देखा और कहा, “हे सारे कपट और सब चतुराई से भरे हुए शैतान की सन्तान, सकल धर्म के बैरी, क्या तू प्रभु के सीधे मार्गों को टेढ़ा करना न छोड़ेगा? अब देख, प्रभु का हाथ तुझ पर लगा है; और तू कुछ समय तक अंधा रहेगा और सूर्य को न देखेगा।” तब तुरन्त धुंधलापन और अन्धेरा उस पर छा गया, और वह इधर उधर टटोलने लगा ताकि कोई उसका हाथ पकड़के ले चले। तब हाकिम ने जो हुआ था उसे देखकर और प्रभु के उपदेश से चकित होकर विश्‍वास किया। पौलुस और उसके साथी पाफुस से जहाज खोलकर पंफूलिया के पिरगा में आए; और यूहन्ना उन्हें छोड़कर यरूशलेम को लौट गया। पिरगा से आगे बढ़कर वे पिसिदिया के अन्ताकिया में पहुँचे; और सब्त के दिन आराधनालय में जाकर बैठ गए। व्यवस्था और भविष्यद्वक्‍ताओं की पुस्तक से पढ़ने के बाद आराधनालय के सरदारों ने उनके पास कहला भेजा, “हे भाइयो, यदि लोगों के उपदेश के लिये तुम्हारे मन में कोई बात हो तो कहो।” तब पौलुस ने खड़े होकर और हाथ से संकेत करके कहा, “हे इस्राएलियो, और परमेश्‍वर से डरनेवालो, सुनो : इन इस्राएली लोगों के परमेश्‍वर ने हमारे बापदादों को चुन लिया, और जब ये लोग मिस्र देश में परदेशी होकर रहते थे, तो उनकी उन्नति की; और बलवन्त भुजा से निकाल लाया। वह कोई चालीस वर्ष तक जंगल में उनकी सहता रहा, और कनान देश में सात जातियों का नाश करके उनका देश कोई साढ़े चार सौ वर्ष में इनकी मीरास में कर दिया। इसके बाद उसने शमूएल भविष्यद्वक्‍ता तक उनमें न्यायी ठहराए। उसके बाद उन्होंने एक राजा माँगा: तब परमेश्‍वर ने चालीस वर्ष के लिये बिन्यामीन के गोत्र में से एक मनुष्य; अर्थात् कीश के पुत्र शाऊल को उन पर राजा ठहराया। फिर उसे अलग करके दाऊद को उनका राजा बनाया; जिसके विषय में उसने गवाही दी, ‘मुझे एक मनुष्य, यिशै का पुत्र दाऊद, मेरे मन के अनुसार मिल गया है; वही मेरी सारी इच्छा पूरी करेगा।’ इसी के वंश में से परमेश्‍वर ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार इस्राएल के पास एक उद्धारकर्ता, अर्थात् यीशु को भेजा। जिसके आने से पहले यूहन्ना ने सब इस्राएलियों में मन फिराव के बपतिस्मा का प्रचार किया। जब यूहन्ना अपनी सेवा पूरी करने पर था, तो उसने कहा, ‘तुम मुझे क्या समझते हो? मैं वह नहीं! वरन् देखो, मेरे बाद एक आनेवाला है, जिसके पाँवों की जूती भी मैं खोलने के योग्य नहीं।’