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2 राजाओं 20

20
राजा हिजकिय्याह का मृत्यु से बचना
(यशा 38:1–8,21,22; 2 इति 32:24–26)
1उन दिनों में हिजकिय्याह ऐसा रोगी हुआ कि मरने पर था, और आमोस के पुत्र यशायाह भविष्यद्वक्‍ता ने उसके पास जाकर कहा, “यहोवा यों कहता है कि अपने घराने के विषय जो आज्ञा देनी हो वह दे; क्योंकि तू नहीं बचेगा, मर जाएगा।” 2तब उसने दीवार की ओर मुँह फेर, यहोवा से प्रार्थना करके कहा, “हे यहोवा! 3मैं विनती करता हूँ, स्मरण कर कि मैं सच्‍चाई और खरे मन से अपने को तेरे सम्मुख जानकर#20:3 मूल में, मेरे सामने चलता आया हूँ, और जो तुझे अच्छा लगता है वही मैं करता आया हूँ।” तब हिजकिय्याह फूट–फूट कर रोया। 4तब ऐसा हुआ कि यशायाह आँगन के बीच तक जाने भी न पाया था कि यहोवा का यह वचन उसके पास पहुँचा : 5“लौटकर मेरी प्रजा के प्रधान हिजकिय्याह से कह, कि तेरे मूलपुरुष दाऊद का परमेश्‍वर यहोवा यों कहता है कि मैं ने तेरी प्रार्थना सुनी और तेरे आँसू देखे हैं; देख, मैं तुझे चंगा करता हूँ; परसों तू यहोवा के भवन में जा सकेगा। 6मैं तेरी आयु पन्द्रह वर्ष और बढ़ा दूँगा। मैं अश्शूर के राजा के हाथ से तुझे और इस नगर को बचाऊँगा, और मैं अपने निमित्त और अपने दास दाऊद के निमित्त इस नगर की रक्षा करूँगा।” 7तब यशायाह ने कहा, “अंजीरों की एक टिकिया लो।” जब उन्होंने उसे लेकर फोड़े पर बाँधा, तब वह चंगा हो गया।
8हिजकिय्याह ने यशायाह से पूछा, “यहोवा जो मुझे चंगा करेगा और मैं परसों यहोवा के भवन को जा सकूँगा, इसका क्या चिह्न होगा?” 9यशायाह ने कहा, “यहोवा जो अपने कहे हुए वचन को पूरा करेगा, इस बात का यहोवा की ओर से तेरे लिये यह चिह्न होगा कि धूपघड़ी की छाया दस अंश आगे बढ़ जाएगी, या दस अंश घट जाएगी।” 10हिजकिय्याह ने कहा, “छाया का दस अंश आगे बढ़ना तो हलकी बात है, इसलिये ऐसा हो कि छाया दस अंश पीछे लौट जाए।” 11तब यशायाह भविष्यद्वक्‍ता ने यहोवा को पुकारा, और आहाज की धूपघड़ी की छाया, जो दस अंश ढल चुकी थी, यहोवा ने उसको पीछे की ओर लौटा दिया।
बेबीलोन के दूतों का आगमन
(यशा 39:1–8)
12उस समय बलदान का पुत्र बरोदकबलदान जो बेबीलोन का राजा था, उसने हिजकिय्याह के रोगी होने की चर्चा सुनकर, उसके पास पत्री और भेंट भेजी। 13उनके लानेवालों की मानकर हिजकिय्याह ने उनको अपने अनमोल पदार्थों का सब भण्डार, और चाँदी और सोना और सुगन्ध द्रव्य और उत्तम तेल और अपने हथियारों का पूरा घर और अपने भण्डारों में जो जो वस्तुएँ थीं, वे सब दिखाईं; हिजकिय्याह के भवन और राज्य भर में कोई ऐसी वस्तु न रही, जो उसने उन्हें न दिखाई हो।
14तब यशायाह भविष्यद्वक्‍ता ने हिजकिय्याह राजा के पास जाकर पूछा, “वे मनुष्य क्या कह गए? और कहाँ से तेरे पास आए थे?” हिजकिय्याह ने कहा, “वे तो दूर देश से अर्थात् बेबीलोन से आए थे।” 15फिर उसने पूछा, “तेरे भवन में उन्होंने क्या क्या देखा है?” हिजकिय्याह ने कहा, “जो कुछ मेरे भवन में है,वह सब उन्होंने देखा। मेरे भण्डारों में कोई ऐसी वस्तु नहीं, जो मैं ने उन्हें न दिखाई हो।”
16तब यशायाह ने हिजकिय्याह से कहा, “यहोवा का वचन सुन ले। 17ऐसे दिन आनेवाले हैं, जिनमें जो कुछ तेरे भवन में है, और जो कुछ तेरे पुरखाओं का रखा हुआ आज के दिन तक भण्डारों में है वह सब बेबीलोन को उठ जाएगा;#2 राजा 24:13; 2 इति 26:10 यहोवा यह कहता है कि कोई वस्तु न बचेगी। 18और जो पुत्र तेरे वंश में उत्पन्न हों, उनमें से भी कुछ को वे बन्दी बनाकर ले जाएँगे; और वे खोजे बनकर बेबीलोन के राजभवन में रहेंगे।#2 राजा 24:14,15; दानि 1:1–7 19तब हिजकिय्याह ने यशायाह से कहा, “यहोवा का वचन जो तू ने कहा है, वह भला ही है;” क्योंकि उसने सोचा, “यदि मेरे दिनों में शान्ति और सच्‍चाई बनी रहेंगी, तो क्या यह भला नहीं है?”
हिजकिय्याह के राज्य का अन्त
(2 इति 32:32,33)
20हिजकिय्याह के और सब काम और उसकी सारी वीरता और किस रीति उसने एक जलाशय और नहर खुदवाकर नगर में पानी पहुँचा दिया, यह सब क्या यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है? 21अन्त में हिजकिय्याह अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसका पुत्र मनश्शे उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

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