व्यवस्था-विवरण 5:8
व्यवस्था-विवरण 5:8 HINCLBSI
‘तू अपने लिए कोई मूर्ति न बनाना और न किसी प्राणी अथवा वस्तु की आकृति बनाना, जो ऊपर आकाश में, अथवा नीचे धरती पर या धरती के नीचे जल में है।
‘तू अपने लिए कोई मूर्ति न बनाना और न किसी प्राणी अथवा वस्तु की आकृति बनाना, जो ऊपर आकाश में, अथवा नीचे धरती पर या धरती के नीचे जल में है।