मरकुस 10
10
विवाहक पवित्रता और तलाकक प्रश्न
(मत्ती 19:1-12; लूका 16:18)
1यीशु तखन ओहि ठाम सँ विदा भऽ कऽ यहूदिया प्रदेश मे और यरदन नदीक ओहि पार गेलाह। बहुत बड़का भीड़ फेर हुनका लग अयलनि, तँ ओ अपन आदतक अनुसार ओकरा सभ केँ शिक्षा देबऽ लगलाह। 2किछु फरिसी सभ आबि कऽ हुनका जँचबाक लेल पुछलथिन जे, “की धर्म-नियमक अनुसार पुरुष केँ अपना स्त्री केँ तलाक देनाइ ठीक अछि?” 3यीशु हुनका सभ केँ पुछलथिन जे, “एहि सम्बन्ध मे मूसा की आज्ञा देने छथि?”
4ओ सभ उत्तर देलथिन, “मूसा तलाकनामा लिखि कऽ तलाकक अनुमति देने छथि।”
5एहि पर यीशु हुनका सभ केँ जबाब देलथिन जे, “अहाँ सभक मोनक कठोरताक कारणेँ मूसा अहाँ सभक लेल ई आज्ञा देने छथि। 6लेकिन सृष्टिक शुरुए सँ परमेश्वर मनुष्य केँ ‘पुरुष आ स्त्री बनौलनि।’#10:6 उत्पत्ति 1:27 7‘एहि कारणेँ पुरुष अपन माय-बाबू केँ छोड़ि अपन स्त्रीक संग रहत और दूनू एक शरीर भऽ जायत।’#10:7 उत्पत्ति 2:24 8आब ओ सभ दू नहि अछि—एके भऽ गेल। 9तेँ जकरा परमेश्वर जोड़ि देलथिन तकरा मनुष्य अलग नहि करओ।”
10बाद मे जखन घर मे छलाह तखन शिष्य सभ एहि विषय मे यीशु सँ फेर पुछलथिन। 11ओ उत्तर देलथिन जे, “जे केओ अपना स्त्री केँ तलाक दऽ कऽ दोसर सँ विवाह करैत अछि, से ओहि स्त्रीक संग परस्त्रीगमन करैत अछि। 12और जे स्त्री अपना पति केँ तलाक दऽ कऽ दोसर पुरुष सँ विवाह करैत अछि, सेहो परपुरुषगमन करैत अछि।”
धिआ-पुता सभ केँ यीशुक आशीर्वाद
(मत्ती 19:13-15; लूका 18:15-17)
13तखन लोक सभ यीशु लग अपन बच्चा सभ केँ आनऽ लगलनि जे ओ ओकरा सभ पर हाथ राखि आशीर्वाद देथिन। मुदा शिष्य सभ ओकरा सभ केँ डँटलनि। 14ई देखि यीशु बहुत अप्रसन्न भऽ गेलाह और शिष्य सभ केँ कहलथिन, “बच्चा सभ केँ हमरा लग आबऽ दिऔक, ओकरा सभ केँ नहि रोकिऔक, किएक तँ परमेश्वरक राज्य एहने सभक अछि। 15हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, जे बच्चा जकाँ परमेश्वरक राज्य ग्रहण नहि करत से ओहि मे कहियो नहि प्रवेश करत।” 16तखन बच्चा सभ केँ कोरा मे उठा लेलथिन और ओकरा सभ पर हाथ राखि कऽ आशीर्वाद देलथिन।
महत्वपूर्ण की—धन-सम्पत्ति वा अनन्त जीवन?
(मत्ती 19:16-30; लूका 18:18-30)
17यीशु जखन ओहिठाम सँ विदा भऽ रस्ता मे जा रहल छलाह तँ एक आदमी दौड़ि कऽ अयलाह, और हुनका आगाँ मे ठेहुनिया रोपि कऽ यीशु सँ पुछलथिन जे, “यौ उत्तम गुरुजी! अनन्त जीवन प्राप्त करबाक लेल हम की करू?”
18यीशु हुनका कहलथिन, “अहाँ हमरा ‘उत्तम’ किएक कहैत छी? परमेश्वर केँ छोड़ि आरो केओ उत्तम नहि अछि। 19मुदा अहाँ धर्म-नियमक आज्ञा सभ तँ जनिते छी—‘हत्या नहि करह, परस्त्रीगमन नहि करह, चोरी नहि करह, झूठ गवाही नहि दैह, ककरो नहि ठकह, अपन माय-बाबूक आदर करह।’#10:19 प्रस्थान 20:12-16; व्यव 5:16-20 ”
20ओ उत्तर देलथिन जे, “गुरुजी, एहि सभ आज्ञाक पालन हम बचपने सँ करैत छी।” 21यीशु हुनका देखि कऽ प्रेम कयलथिन और कहलथिन, “अहाँ मे एकटा बातक कमी अछि—अहाँ जाउ, अपन पूरा सम्पत्ति बेचि कऽ ओकरा गरीब सभ मे बाँटि दिअ, अहाँ केँ स्वर्ग मे धन भेटत। तकरबाद आउ आ हमरा पाछाँ चलू।”
22ई बात सुनि कऽ ओहि आदमीक मुँह उतरि गेलनि, आ ओ उदास भऽ कऽ चल गेलाह किएक तँ हुनका बहुत धन-सम्पत्ति छलनि। 23तखन यीशु चारू कात देखि कऽ अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “धनिक सभक लेल परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश कयनाइ कतेक कठिन अछि!” 24शिष्य सभ एहि बात सँ अचम्भित भऽ गेलाह। यीशु हुनका सभ केँ फेर कहलथिन, “हे हमर बेटा सभ! परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश कयनाइ#10:24 किछु हस्तलेख मे एहि तरहेँ लिखल अछि, “हे हमर बेटा सभ! धन-सम्पत्ति पर भरोसा राखऽ वला लोकक लेल परमेश्वरक राज्य...” कतेक कठिन अछि! 25धनिक केँ परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश कयनाइ सँ ऊँट केँ सुइक भूर दऽ कऽ निकलनाइ आसान अछि।”
26ओ सभ आरो चकित भऽ कऽ एक-दोसर केँ कहऽ लगलाह जे, “तखन उद्धार ककर भऽ सकैत छैक?!” 27यीशु हुनका सभ केँ एकटक देखैत कहलथिन, “मनुष्यक लेल तँ ई असम्भव अछि, लेकिन परमेश्वरक लेल नहि। परमेश्वरक लेल सभ किछु सम्भव अछि।”
28पत्रुस हुनका कहलथिन, “देखू! हम सभ तँ सभ किछु त्यागि कऽ अहाँक पाछाँ आयल छी।” 29यीशु उत्तर देलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी, प्रत्येक व्यक्ति जे हमरा लेल और शुभ समाचारक लेल घर, भाय, बहिन, माय-बाबू, सन्तान वा जमीन-जालक त्याग करत 30तकरा एहि युग मे सय गुना भेटतैक—घर, भाय, बहिन, माय, सन्तान, जमीन, मुदा संगे-संगे सहऽ पड़तैक अत्याचार, और आबऽ वला युग मे भेटतैक अनन्त जीवन। 31मुदा बहुतो लोक जे एखन आगाँ अछि से पाछाँ भऽ जायत, आ जे एखन पाछाँ अछि से आगाँ भऽ जायत।”
यरूशलेमक लेल अन्तिम प्रस्थान
(मत्ती 20:17-19; लूका 18:31-34)
32यीशु और हुनकर शिष्य सभ यरूशलेम जाय वला रस्ता पर बढ़ैत छलाह। यीशु आगू-आगू चलि रहल छलाह। शिष्य सभ आश्चर्य-चकित छलाह और जे सभ संग मे पाछू-पाछू अबैत छल से सभ भयभीत छल। बारहो शिष्य केँ यीशु फेर अलग लऽ जा कऽ हुनका सभ केँ बुझा देलथिन जे हुनका संग केहन घटना सभ होयतनि। ओ हुनका सभ केँ कहलथिन जे, 33“सुनू, अपना सभ यरूशलेम जा रहल छी। ओहिठाम मनुष्य-पुत्र मुख्यपुरोहित और धर्मशिक्षक सभक हाथ मे पकड़ाओल जायत। ओ सभ ओकरा मृत्युदण्डक जोगरक ठहरा देतैक और गैर-यहूदी सभक हाथ मे सौंपि देतैक। 34ओ सभ ओकर हँसी उड़ौतैक और ओकरा पर थुकतैक, ओकरा कोड़ा सँ मारतैक और मारि देतैक। मुदा तीन दिनक बाद ओ फेर जीबि उठत।”
याकूब और यूहन्नाक निवेदन
(मत्ती 20:20-28)
35जबदीक दूनू पुत्र याकूब और यूहन्ना यीशु लग आबि कऽ कहलथिन, “गुरुजी, हम सभ चाहैत छी जे, हम सभ जे किछु माँगी से अहाँ हमरा सभक लेल कऽ दिअ।” 36यीशु पुछलथिन जे, “अहाँ सभ की चाहैत छी जे हम कऽ दिअ?”
37ओ सभ जबाब देलथिन जे, “अहाँ अपन महिमामय राज्य मे हमरा सभ मे सँ एक केँ अपना दहिना कात मे और दोसर केँ अपना बामा कात मे बैसबाक अधिकार दिअ।” 38यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ की माँगि रहल छी से अहाँ सभ नहि बुझैत छी। की दुःखक बाटी सँ जे हमरा पिबाक अछि से अहाँ सभ पिबि सकैत छी? वा कष्टक बपतिस्मा लऽ सकैत छी जे हमरा लेबाक अछि?”
39ओ सभ उत्तर देलथिन जे, “हँ, कऽ सकैत छी।” तखन यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “जे बाटी हमरा पिबाक अछि से तँ अहाँ सभ पीब, और जे बपतिस्मा हमरा लेबाक अछि से अहाँ सभ लेब, 40मुदा किनको अपना दहिना कात वा बामा कात बैसायब, तकर अधिकार हमरा नहि अछि—ई स्थान सभ तिनका सभक लेल छनि, जिनका सभक लेल तैयार कयल गेल अछि।”
41जखन बाँकी दस शिष्य एहि बातक बारे मे सुनलनि तखन ओ सभ याकूब और यूहन्ना पर खिसिआय लगलाह। 42एहि पर यीशु शिष्य सभ केँ अपना लग बजा कऽ कहलथिन, “अहाँ सभ जनैत छी जे एहि संसार मे जे सभ शासन करऽ वला बुझल जाइत छथि से सभ जनता पर हुकुम चलबैत रहैत छथि, और जनता मे जे पैघ लोक सभ छथि से जनता पर अधिकार जमबैत छथि। 43मुदा अहाँ सभ मे एना नहि होअय। बल्कि, जे अहाँ सभ मे पैघ होमऽ चाहय से अहाँ सभक सेवक बनय। 44और जे केओ अहाँ सभ मे प्रमुख व्यक्ति होमऽ चाहय से सभक टहलू बनय! 45किएक तँ मनुष्य-पुत्र सेहो एहि लेल नहि आयल अछि जे अपन सेवा कराबय बल्कि एहि लेल जे ओ सेवा करय और बहुतो लोकक छुटकाराक मूल्य मे अपन प्राण देअय।”
आन्हर बरतिमाई केँ आँखिक इजोत
(मत्ती 20:29-34; लूका 18:35-43)
46तखन ओ सभ यरीहो नगर पहुँचलाह। जखन यीशु और शिष्य सभ बड़का भीड़क संग यरीहो सँ निकलैत छलाह तखन रस्ताक कात मे तिमाईक पुत्र, बरतिमाई, जे आन्हर छल, से भीख मँगैत बैसल छल। 47जखन ओ सुनलक जे नासरत-निवासी यीशु जा रहल छथि तँ ओ सोर पारि कऽ कहऽ लागल जे, “यौ दाऊदक पुत्र#10:47 “दाऊदक पुत्र”क सम्बन्ध मे आरो जनबाक लेल शब्द परिचय वला भाग मे “दाऊद” शब्द केँ देखू। यीशु! हमरा पर दया करू!” 48ओकरा बहुत लोक डाँटि कऽ चुप रहऽ लेल कहलकैक, मुदा ओ आरो जोर सँ हल्ला कऽ कऽ कहऽ लागल जे, “यौ दाऊदक पुत्र! हमरा पर दया करू!”
49यीशु ठाढ़ भऽ गेलाह आ कहलनि जे, “ओकरा बजाउ!” तखन ओहि आन्हर केँ बजा कऽ लोक सभ कहलकैक जे, “निराश नहि हो! उठ! तोरा बजबैत छथुन!” 50अपन ओढ़ना फेकि कऽ ओ छरपि उठल और यीशु लग आयल। 51यीशु ओकरा पुछलथिन जे, “तोँ की चाहैत छह, हम तोरा लेल की करिअह?” आन्हर बाजल, “गुरुजी, हम देखऽ चाहैत छी!” 52यीशु ओकरा कहलथिन, “जाह—तोहर विश्वास तोरा नीक कऽ देलकह।” ओ तुरत देखऽ लागल और रस्ता मे यीशुक पाछाँ चलऽ लागल।
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