लूका 22
22
यहूदाक विश्वासघाती योजना
(मत्ती 26:1-5, 14-16; मरकुस 14:1-2, 10-11)
1“बिनु खमीरक रोटी वला पाबनि”, जे “फसह-पाबनि” कहबैत अछि, लगचिआ गेल छल। 2मुख्यपुरोहित और धर्मशिक्षक सभ यीशु केँ कोन प्रकारेँ मारि देल जाय तकर ठीक उपायक ताक मे लागल छलाह, कारण ओ सभ जनता सँ डेराइत छलाह। 3तखन यहूदा इस्करियोती, जे बारह शिष्य मे सँ एक छल, तकरा मोन मे शैतान पैसि गेलैक। 4ओ जा कऽ मुख्यपुरोहित सभ और मन्दिरक सिपाही सभक कप्तान सभक संग बात-चीत कयलक जे ओ यीशु केँ कोना हुनका सभक हाथ मे पकड़बा देत। 5ओ सभ बड्ड प्रसन्न भेलाह, और ओकरा एहि काजक लेल पाइ देबाक लेल सहमत भेलाह। 6यहूदा सेहो मानि लेलक, और जाहि समय मे लोकक भीड़ नहि रहत, ताहि समय मे यीशु केँ पकड़बा कऽ हुनका सभक हाथ मे देबाक अवसरक ताक मे रहऽ लागल।
शिष्य सभक संग यीशुक अन्तिम भोज
(मत्ती 26:17-30; मरकुस 14:12-22; यूहन्ना 13:21-30; 1 कोरिन्थी 11:23-25)
7तखन बिनु खमीरक रोटी वला पाबनिक ओ दिन आबि गेल, जाहि दिन फसह-भोजक भेँड़ा बलिदान करबाक छल। 8पत्रुस और यूहन्ना केँ यीशु ई कहि कऽ पठौलथिन जे, “जाउ, अपना सभक लेल फसह-भोजक व्यवस्था करू।” 9ओ सभ पुछलथिन, “अहाँ कतऽ चाहैत छी जे हम सभ व्यवस्था करी?” 10ओ कहलथिन, “शहर मे प्रवेश करिते घैल मे पानि लऽ जाइत एक पुरुष अहाँ सभ केँ भेटत। जाहि घर मे ओ प्रवेश करत, ताहि मे अहाँ सभ ओकरा पाछाँ-पाछाँ जायब, 11और घरक मालिक केँ कहबनि जे, ‘गुरुजी पुछैत छथि जे, ओ अतिथि-घर कतऽ अछि जतऽ हम अपना शिष्य सभक संग फसह-भोज खायब?’ 12ओ अहाँ सभ केँ उपरका तल्ला पर एक नमहर कोठली देखौताह जाहि मे सभ किछु तैयार रहत। ओतहि अहाँ सभ भोजक व्यवस्था करू।” 13ओ सभ गेलाह, और जहिना यीशु हुनका सभ केँ कहने छलथिन, ठीक ओहिना सभ किछु भेटलनि, और ओ सभ ओतऽ फसह-भोजक व्यवस्था कयलनि।
14जखन भोज खयबाक समय भेल तँ यीशु अपन बारहो दूतक संग भोजन करबाक लेल बैसलाह। 15ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हमरा बड्ड इच्छा छल जे अपन दुःख भोगनाइ सँ पहिने अहाँ सभक संग हम ई फसह-भोज खाइ। 16कारण, हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, जा धरि एहि भोजक अभिप्राय परमेश्वरक राज्य मे पूरा नहि होयत, ता धरि हम एकरा फेर नहि खायब।”
17ओ बाटी लेलनि, आ परमेश्वर केँ धन्यवाद दऽ कऽ शिष्य सभ केँ कहलथिन, “ई लिअ, अपना सभ मे बाँटि लिअ। 18हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, जाबत तक परमेश्वरक राज्य नहि आओत ताबत तक हम अंगूरक रस फेर नहि पीब।”
19ओ रोटी लेलनि आ परमेश्वर केँ धन्यवाद देलनि। रोटी केँ तोड़ि कऽ शिष्य सभ केँ देलथिन आ कहलथिन, “ई हमर देह अछि जे अहाँ सभक लेल देल जा रहल अछि। ई हमर यादगारी मे करू।”
20तहिना भोजनक बाद ओ बाटी लेलनि आ कहलथिन, “एहि बाटी मे परमेश्वर आ मनुष्यक बीच नव सम्बन्ध स्थापित करऽ वला हमर खून अछि, जे अहाँ सभक लेल बहाओल जा रहल अछि। 21मुदा हमरा पकड़बाबऽ वला एतऽ हमरा संग भोजन पर बैसल अछि! 22मनुष्य-पुत्र तँ, जहिना ओकरा लेल निश्चित कयल गेल छैक, तहिना चल जायत, मुदा धिक्कार अछि ओहि मनुष्य केँ जे ओकरा पकड़बा रहल अछि।” 23एहि पर शिष्य सभ एक-दोसर सँ पुछऽ लागल जे, ओ के भऽ सकैत अछि, जे एहन काज करत?
शिष्य सभ मे विवाद
24शिष्य सभक बीच एहि विषय मे विवाद उठि गेल जे, हमरा सभ मे पैघ के मानल जाय। 25यीशु कहलथिन, “एहि संसारक राज्य सभ मे राजा सभ अपना प्रजा पर हुकुम चलबैत रहैत छथि, और प्रजा पर अधिकार जमाबऽ वला सभ अपना केँ ‘उपकारी’ कहैत अछि। 26मुदा अहाँ सभ मे एना नहि होअय। बल्कि, जे अहाँ सभ मे पैघ होअय, से सभ सँ छोट बनय, और जकरा अधिकार होइक, से दास बनय। 27पैघ के अछि, ओ जे भोजन करबाक लेल बैसल अछि, वा ओ जे सेवा करैत अछि? की भोजन करऽ वला पैघ नहि अछि? मुदा हम अहाँ सभक बीच सेवकक रूप मे छी।
28“अहीं सभ छी जे हमर बेर-विपत्ति मे हमरा संग दैत रहलहुँ। 29और जहिना हमर पिता हमरा राज्य करबाक अधिकार देने छथि, तहिना हमहूँ अहाँ सभ केँ राज्य करबाक अधिकार दैत छी, 30जाहि सँ अहाँ सभ हमर राज्य मे हमरा संग खायब-पीब, और सिंहासन पर बैसि कऽ इस्राएलक बारहो कुलक न्याय करब।
सिमोन पत्रुसक पतनक भविष्यवाणी
(मत्ती 26:31-35; मरकुस 14:27-31; यूहन्ना 13:36-38)
31“सिमोन, यौ सिमोन! सुनू! शैतान अहाँ सभक माँग कयने अछि, जे ओ अहाँ सभ केँ गहुम जकाँ फटकय। 32मुदा हम अहाँक लेल पिता सँ प्रार्थना कयने छी जे अहाँक विश्वास टुटय नहि। अहाँ जखन हमरा दिस फेर घूमि आयब, तँ विश्वास मे स्थिर रहऽ मे अपना भाय सभक मदति करब।”
33मुदा पत्रुस उत्तर देलथिन, “प्रभु! हम अहाँक संग जहल मे जयबाक लेल आ मरबाक लेल सेहो तैयार छी!”
34यीशु कहलथिन, “यौ पत्रुस, हम अहाँ केँ कहैत छी जे, आइए मुर्गा केँ बाजऽ सँ पहिने अहाँ तीन बेर हमरा अस्वीकार कऽ कऽ लोक केँ कहबैक जे, हम ओकरा चिन्हबो नहि करैत छिऐक।”
35तखन ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ जखन बटुआ, झोरा और जुत्ताक बिना बाहर पठौने रही, तँ की कोनो वस्तुक अभाव भेल?”
ओ सभ उत्तर देलथिन, “नहि।”
36तखन यीशु कहलथिन, “मुदा आब, जकरा बटुआ छैक वा झोरा छैक से लऽ लिअय। आ जकरा तरुआरि नहि छैक, से अपन कोनो वस्त्र बेचि कऽ किनि लिअय। 37किएक तँ हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, धर्मशास्त्र मे लिखल ई बात हमरा मे पूरा होयबाक अछि जे, ‘ओ अपराधी सभ मे गनल गेलाह।’#22:37 यशा 53:12 हँ, जे बात हमरा विषय मे लिखल अछि, से एखनो पूरा भऽ रहल अछि।”
38शिष्य सभ हुनका कहलथिन, “प्रभु, देखू, एतऽ दूटा तरुआरि अछि।” ओ उत्तर देलथिन, “बस, भऽ गेल।”
जैतून पहाड़ पर यीशुक प्रार्थना
(मत्ती 26:36-46; मरकुस 14:32-42)
39तखन यीशु शहर सँ बहरा कऽ जैतून पहाड़ पर गेलाह, जतऽ ओ बेसी काल जाइत छलाह। हुनका संग हुनकर शिष्य सभ सेहो छलथिन। 40ओतऽ पहुँचि कऽ ओ शिष्य सभ केँ कहलथिन, “प्रार्थना करैत रहू जे परीक्षा मे नहि पड़ी।” 41तखन ओ शिष्य सभ सँ किछु दूर हटि ठेहुनिया दऽ कऽ एहि तरहेँ प्रार्थना करऽ लगलाह जे, 42“हे पिता, अहाँ जँ चाहैत छी, तँ ई दुःखक बाटी हमरा लग सँ हटा लिअ। मुदा तैयो हमर इच्छा नहि, अहींक इच्छा पूरा होअय।” 43तखन हुनका साहस देबाक लेल एक स्वर्गदूत हुनका लग अयलथिन। 44ओ व्याकुल भऽ कऽ प्रार्थना मे एतेक लीन भऽ गेलाह जे हुनका शरीर सँ खूनक बुन्द सनक पसेना ठोपे-ठोप जमीन पर खसि रहल छलनि।
45प्रार्थना सँ उठि कऽ ओ शिष्य सभ लग अयलाह। शिष्य सभ शोकित भऽ थाकि कऽ सुतल छलाह। 46यीशु कहलथिन, “अहाँ सभ सुतल किएक छी? उठू, आ प्रार्थना करैत रहू जे परीक्षा मे नहि पड़ी।”
यीशु बन्दी बनाओल गेलाह
(मत्ती 26:47-56; मरकुस 14:43-50; यूहन्ना 18:3-11)
47यीशु बाजिए रहल छलाह कि लोकक भीड़ ओतऽ पहुँचल। हुनकर बारह शिष्य मे सँ एक, जकर नाम यहूदा छलैक, से ओकरा सभक आगाँ छल। ओ चुम्मा लेबाक लेल यीशुक लग मे अयलनि, 48मुदा यीशु ओकरा कहलथिन, “हौ यहूदा, की तोँ मनुष्य-पुत्र केँ चुम्मा लऽ कऽ धोखा दऽ रहल छह?”
49यीशुक शिष्य सभ जखन देखलनि जे आब की होयत तँ पुछलथिन, “प्रभु, की हम सभ तरुआरि चलाउ?” 50हुनका सभ मे सँ एक गोटे महापुरोहितक टहलू पर तरुआरि चला कऽ ओकर दहिना कान काटि देलनि।
51मुदा यीशु कहलथिन, “रूकू, रूकू!” और ओहि आदमीक कान छुबि कऽ ठीक कऽ देलथिन।
52तखन यीशु मुख्यपुरोहित, मन्दिरक सिपाही और बूढ़-प्रतिष्ठित सभ जे हुनका पकड़ऽ आयल छल, तकरा सभ केँ कहलथिन, “की अहाँ सभ हमरा विद्रोह मचाबऽ वला बुझि कऽ लाठी और तरुआरि लऽ कऽ पकड़ऽ अयलहुँ? 53हम अहाँ सभक संग सभ दिन मन्दिर मे छलहुँ तँ हमरा पकड़बाक कोशिश नहि कयलहुँ। मुदा एखन ई अहाँ सभक समय अछि, एखन अन्हार केँ अधिकार छैक।”
पत्रुस द्वारा यीशु केँ अस्वीकार
(मत्ती 26:57-58, 69-75; मरकुस 14:53-54, 66-72; यूहन्ना 18:12-18, 25-27)
54तखन ओ सभ यीशु केँ पकड़ि लेलकनि आ ओहिठाम सँ महापुरोहितक भवन मे लऽ गेलनि। पत्रुस सेहो किछु दूर रहि कऽ पाछाँ-पाछाँ गेलाह। 55लोक सभ आङनक बीच मे घूर लगा कऽ आगि तापऽ बैसल तँ पत्रुसो आबि कऽ बैसि रहलाह। 56एक नोकरनी आगिक इजोत मे हुनका बैसल देखलकनि आ हुनकर मुँह ठिकिअबैत बाजल, “इहो ओकरे संग छलैक।”
57मुदा पत्रुस अस्वीकार कऽ कऽ कहलथिन, “गे! हम ओकरा चिन्हबो नहि करैत छिऐक।”
58किछु कालक बाद केओ दोसर गोटे हुनका देखि कहलकनि, “अहूँ तँ ओकरे सभ मे सँ छी।”
पत्रुस उत्तर देलथिन, “यौ भाइ, हम नहि छी!”
59करीब एक घण्टाक बाद फेर तेसर गोटे जोर दैत बाजल, “ई आदमी पक्का ओकरा संग छलैक, इहो तँ गलीले निवासी अछि।”
60मुदा पत्रुस उत्तर देलथिन, “भाइ, अहाँ की कहैत छी से हम बुझबे नहि करैत छी!” ओ ई बात कहिए रहल छलाह कि तुरत्ते मुर्गा बाजि उठल। 61प्रभु घूमि कऽ पत्रुसक दिस तकलथिन। तखने हिनका प्रभुक कहल बात मोन पड़ि गेलनि जे, “आइ मुर्गा केँ बाजऽ सँ पहिने अहाँ तीन बेर हमरा अस्वीकार करब।” 62ओ ओहिठाम सँ बाहर भऽ भोकासी पाड़ि कऽ कानऽ लगलाह।
यीशुक अपमान
63जे सिपाही सभ यीशु पर पहरा दऽ रहल छलनि से सभ हुनकर हँसी उड़ाबऽ लगलनि और मारऽ-पिटऽ लगलनि। 64हुनका आँखि पर पट्टी बान्हि कऽ कहलकनि, “यौ अन्तर्यामी! कहल जाओ, अपने केँ के मारलक?” 65एहि तरहक आरो-आरो बहुत बात सभ कहि कऽ हुनकर अपमान कयलकनि।
धर्म-महासभाक सामने यीशु
(मत्ती 26:59-66; मरकुस 14:55-64; यूहन्ना 18:19-24)
66भोर भेला पर यहूदी सभक बूढ़-प्रतिष्ठित सभ, मुख्यपुरोहित सभ और धर्मशिक्षक सभ महासभा मे जमा भेलाह, और यीशु केँ हुनका सभक सामने आनल गेलनि। 67ओ सभ कहलथिन, “अहाँ जँ उद्धारकर्ता-मसीह छी, तँ हमरा सभ केँ स्पष्ट कहू।”
ओ उत्तर देलथिन, “हम जँ कहब, तँ अहाँ सभ विश्वास करब नहि, 68और हम जँ अहाँ सभ सँ पुछब, तँ अहाँ सभ उत्तर देब नहि। 69मुदा आब मनुष्य-पुत्र सर्वशक्तिमान परमेश्वरक दहिना कात बैसत।”
70ओ सभ केओ एके संग पुछलथिन, “तखन की अहाँ परमेश्वरक पुत्र छी?” ओ उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ ठीक कहैत छी। हँ, हम वैह छी।”
71एहि पर ओ सभ बजलाह, “आब आरो गवाहीक की आवश्यकता? अपना सभ स्वयं एकरे मुँह सँ सभटा सुनि लेलहुँ।”
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