पहाड़ों पर चढ़कर लकड़ी ले आओ और रब के घर की तामीर शुरू करो। ऐसा ही रवैया मुझे पसंद होगा, और इस तरह ही तुम मुझे जलाल दोगे।” यह रब का फ़रमान है। “देखो, तुमने बहुत बरकत पाने की तवक़्क़ो की, लेकिन क्या हुआ? कम ही हासिल हुआ। और जो कुछ तुम अपने घर वापस लाए उसे मैंने हवा में उड़ा दिया। क्यों? मैं, रब्बुल-अफ़वाज तुम्हें इसकी असल वजह बताता हूँ। मेरा घर अब तक मलबे का ढेर है जबकि तुममें से हर एक अपना अपना घर मज़बूत करने के लिए भाग-दौड़ कर रहा है।