अभी तक कोंपलें अंजीर के दरख़्त पर नज़र नहीं आतीं, अंगूर की बेलें बेफल हैं। अभी तक ज़ैतून के दरख़्त फल से महरूम हैं और खेतों में फ़सलें नहीं उगतीं। बाड़ों में न भेड़-बकरियाँ, न मवेशी हैं।
ताहम मैं रब की ख़ुशी मनाऊँगा, अपने नजातदहिंदा अल्लाह के बाइस शादियाना बजाऊँगा।