“जब तुम बरत रक्खौ तौ, ढौंगिऔ के हाँई तुमरे मौह लटके भए ना दिखाई दैं, बे अपनो मौह इसताँई सुस्त रक्खै हैं कै बे लोगौ कै दिखाऐ कै बे बरत रख रए हैं, मैं तुमसै सच कैरओ हौं, कै बे अपनो ईनाम पा चुके हैं। पर जब तुम बरत रक्खौ हौ, तौ अपनी खोपड़ी मै तेल लगाऔ और अपनो मौह धो लो। जिस्सै लोग ना पर तेरो अब्बा जो गुप्त मै है, तेकै बरत रखनै बारो जानै, इस हालत मै तेरो अब्बा जो गुप्त मै देखै है, तेकै ईनाम देगो।